1982 में गोपेश्वर
इस शताब्दी के पांचवें दसक के अन्त में आ चीनी विस्तारवादी ड्रेगन के खूनी पंजों में फंस कर जब तिब्बत का कमजोर कबूतर लहूलुहान हो गया, तो मानसरोवर गंवा कर तत्कालीन भारत का पंचशीली राजहंस अपनी गर... Read more
–रामचन्द्र नौटियाल अंग्रेजों के रंवाईं परगने को अपने अधीन रखने की साजिश के चलते राजा नेे मन मसोसकर टिहरी को बनाया ठिकाना गोरखों के आतंक से गढ़वाल राज्य को राहत दिलाने के बाद अंग्रेजों... Read more
गढ़वाली चित्रकला की विशेषताएं
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree गढ़वाल के चित्र भी कांगड़ा के समान ही लघुचित्र हैं ओर पहली दृष्टि में कांगड़ा और गढ़वाल के चित्रों को पृथक करना कठिन है, पर... Read more
‘द्वाराहाट’ उत्तराखंड के इतिहास की एक रोशन खिड़की
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree द्वाराहाट, उत्तराखंड के उन प्राचीनतम कस्बों में है जिसकी पहचान और उपस्थिति इतिहास के हर दौर में किसी न किसी रूप में रही है.... Read more
कुमाऊं का इतिहास
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree ऐतिहासिक स्तर पर कुमाऊं के ‘संस्कृतीकृत नाम ‘कूर्मांचल’ का सर्वप्रथम अभिलेखीय उल्लेख चम्पावतस्थ नागमंदिर... Read more
महाभारत के वनपर्व में उत्तराखंड
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree यह बात कोई नहीं जानता कि उत्तराखंड में तीर्थ यात्रा कब से चल रही हैं. धर्मशास्त्र, पुराण आदि के आधार पर यह कहा जा सकता है क... Read more
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree 31 दिसम्बर के कलकत्ता इंग्लिशमैन में छपी एक खबर कि अलमोड़ा के निकट एक झील को खोजा गया है, पर संयोगवश ही मेरी नजर पड़ी. संभव... Read more
कूर्मांचल की साहित्यिक परम्परा
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree भारत की संस्कृति में हिमालय का महत्वपूर्ण स्थान है. कालिदास साहित्य में हिमालय देवताओं की आत्मा और सत्यं शिवम् सुंदरम... Read more
लैंसडाउन पर 1987 में प्रकाशित एक दिलचस्प लेख
उत्तर रेलवे के कोटद्वार स्टेशन से 42 कि०मी० पुरातन शहर दुगड्डा से 27 कि०मी० उत्तर में 136 पुरानी छावनी युक्त एक छोटा किन्तु सुन्दर नगर लेन्सडौन लगभग 1780 मी० की ऊंचाई पर बसा है. लैन्सडोन का... Read more
साल 1929 में गांधीजी अपनी पर्वतीय यात्रा पर थे. दो दिन ताड़ीखेत में रहने के बाद अल्मोड़ा अगला पड़ाव था. अल्मोड़ा में स्थानीय म्युनिसिपलिटी की ओर से गांधीजी को एक मानपत्र दिया गया. हिन्दी में... Read more