उत्तराखंड में हिमालय और उसकी नदियों के तांडव का आकार प्रकार अब हर मौसम में धीरे–धीरे दिखने लगा है. लेकिन मौसमी बाढ़ इस इलाके में नई नहीं है. अपने जीवन में जल व पर्यावरण संरक्षण-संवर्धन पर अत... Read more
रिंगाल उत्तराखण्ड की बहुउपयोगी वनस्पति
बौना बांस (dwarf bamboo) के नाम से जाना जाने वाला रिंगाल उत्तराखण्ड का बहुउपयोगी पौधा है. रिंगाल पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के अलावा भूस्खलन को रोकने में भी सहायक है. (Ringal Multifunctional... Read more
बूबू की धुपैणी में महकती अनोखी जड़ – सम्यो
तीन बाखली के छोटे से गाँव में मालगों (ऊपर का गाँव) के बीचों-बीच हमारे एक बूबू रहते थे. बहुत मीठे स्वभाव और बाल सुलभ मुस्कान के धनी थे. बच्चों और बकरी के पट्ठों से बहुत प्यार करते थे इसलिए हम... Read more
चिपको आंदोलन से सम्बद्ध चंडी प्रसाद भट्ट को राष्ट्रीय एकता एवं सद्भाव के लिए प्रतिष्ठित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार वर्ष 2017-2018 के लिए चुना गया है. चंडी प्रसाद भट्ट को 1982 में र... Read more
आज मैन ऑफ़ ट्रीज का जन्मदिन है
यूं तो भारत सहित दुनिया की अधिकांश प्राचीनतम सभ्यताएं चीन, मिश्र, यूनान तथा आदिवासी अफ्रीकी समाज में पर्यावरण चेतना का स्तर प्राचीन समय में बहुत ऊंचा था. सभी सभ्यताओं ने प्रकृति को विभ... Read more
भूमि की अंदरूनी सतह में स्थित टेक्टोनिक प्लेट्स के हिलने तथा एक दूसरे से टकराने के कारण पहाड़ों और पथरीली चट्टानों में पड़ी दरारों से निकल रहे जल स्रोतों को कहते हैं स्प्रिंग्स. पहाड़ों मे इन... Read more
दुनिया के लालच को आईना दिखाया 16 साल की ग्रेटा ने
एक पंद्रह-सोलह साल की लड़की है जो यूरोप के एक अतिविकसित देश स्वीडन में रहती है. आप उम्मीद करते हैं वह अपनी किशोरावस्था के इस सबसे सुनहरे सालों में अपनी किसी भी हमउम्र की तरह फैशन, स्लैमबुक्स... Read more
उत्तराखंड के युवकों ने पेश की एकता की अनूठी मिसाल
जैसा कि देखा जा रहा है कि देश मे इस वक़्त असहिष्णुता का माहौल है और लगभग रोज ही अलग अलग धर्मो के लोगो के आपसी झगड़ो की खबरे आना आम सी बात हो गयी है . ऐसे समय मे उत्तराखंड के चार युवकों ने, ज... Read more
कुकुरी बाघ कैसे बनता है आदमखोर बाघ
दरसल अधिकतर लोगों को बाघ, शेर, चीता और तेंदुआ में भ्रम रहता है. पहाड़ों में यह भ्रम इस कदर व्याप्त है कि यहां तेंदुए को ही बाघ कहा जाता है. पहाड़ में बाघ से जुड़ी बहुत सी घटनायें बहुत आम हैं. य... Read more
‘हिमालय दिवस’ पर शमशेर सिंह बिष्ट की एक टिप्पणी
शमशेर सिंह बिष्ट ठेठ पहाड़ी थे. उत्तराखंड के पहाड़ी ग्राम्य जीवन का एक खुरदुरा, ठोस और स्थिर व्यक्तित्व. जल, जंगल और ज़मीन को किसी नारे या मुहावरे की तरह नहीं बल्कि एक प्रखर सच्चाई की तरह जी... Read more