इन दिनों कॉर्बेट पार्क में ली गयी एक तस्वीर देश भर में चर्चित है. तस्वीर में एक बाघिन कॉर्बेट पार्क में रामगंगा नदी के किनारे-किनारे ग्रासलैंड के एक छोर से दूसरे छोर की तरफ जा रही है. अपने र... Read more
गूजर: उत्तराखण्ड की तराई के प्रकृतिप्रेमी घुमंतू
गूजर भारत के गडरिया कबीले के लोग हैं. गुजर नाम संस्कृत के गूजर से निकला है, जो आज के गुजरात का मूल नाम था. कहा जाता है कि गूजर मूलतः गो-पालक थे, उन्हें गोचर कहा जाता था. उनका आदि स्थान गुजरा... Read more
उत्तराखंड की ज़मीनों पर भू माफ़िया की गिद्ध दृष्टि बनी हुई है. उत्तराखंड सरकार द्वारा लाये गए एक नए शासनादेश से वन संरक्षण अधिनियम 1980 को कमज़ोर किये जाने की आशंका जताई जा रही है. इसे राज्य... Read more
कुमाऊं की ठंडी पहाड़ियों में रहने वाले लोग लम्बे समय से जाड़ों के मौसम में तराई क्षेत्र में आ जाया करते हैं. ये लोग भयंकर जाड़े से बचने के लिए अपने पालतू जानवरों के साथ तराई के अपेक्षाकृत गर... Read more
कहीं दिल्ली न बन जाये उत्तराखंड
दिल्ली की जानलेवा ज़हरीली हवाओं ने वातावरण को इस क़दर प्रदूषित कर दिया कि सरकार को स्वास्थ्य आपातकाल लगानी पड़ी. परिस्थिती की भयावता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली के सभी स... Read more
अक्टूबर जैसा अक्टूबर आया ही नहीं इस बार पहाड़ों में
पहाड़ों में पर्यटन का दूसरा बड़ा सीजन होता है अक्टूबर सीजन. एक ज़माने में इस दौरान आने वाले बंगालियों की बड़ी संख्या के कारण इसे बंगाली सीजन कहे जाने की शुरुआत हुई. बंगाल में इस दौरान चल रही दुर... Read more
जैविक खेती को अपनाता उत्तराखंड
जैविक खेती से होने वाले फायदे और नुकसान एक बार फिर से चर्चा में है. रासायनिक छिड़काव और पेस्टीसाइड से भले ही किसानों को अधिक पैदावार मिल जाती है, लेकिन अक्सर इसमें लाभ से कहीं अधिक नुकसान ही... Read more
उत्तराखंड में हिमालय और उसकी नदियों के तांडव का आकार प्रकार अब हर मौसम में धीरे–धीरे दिखने लगा है. लेकिन मौसमी बाढ़ इस इलाके में नई नहीं है. अपने जीवन में जल व पर्यावरण संरक्षण-संवर्धन पर अत... Read more
रिंगाल उत्तराखण्ड की बहुउपयोगी वनस्पति
बौना बांस (dwarf bamboo) के नाम से जाना जाने वाला रिंगाल उत्तराखण्ड का बहुउपयोगी पौधा है. रिंगाल पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के अलावा भूस्खलन को रोकने में भी सहायक है. (Ringal Multifunctional... Read more
बूबू की धुपैणी में महकती अनोखी जड़ – सम्यो
तीन बाखली के छोटे से गाँव में मालगों (ऊपर का गाँव) के बीचों-बीच हमारे एक बूबू रहते थे. बहुत मीठे स्वभाव और बाल सुलभ मुस्कान के धनी थे. बच्चों और बकरी के पट्ठों से बहुत प्यार करते थे इसलिए हम... Read more