कोरोना संकट: दोषपूर्ण विकासवादी नज़रिए का परिणाम
कोरोना का संकट हमें बहुत कुछ सिखाने-समझाने आया है. आज विश्व अकल्पनीय संकट से जूझ रहा है. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यह सबसे बड़ा मानवीय संकट है. पहले चीन, फिर ईरान, इटली, स्पेन, ब्रिटेन और अमेर... Read more
उत्तराखण्ड के जंगलों को जलने से रोका जा सकता है
आग लगभग सभी धर्मों में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है. कोई भी समाज आग के बिना अपने अस्तित्व की कल्पना भी नहीं कर सकता है. आग को हिन्दू धर्म में भी भगवान (अग्नि) का रूप माना जाता है और अधि... Read more
करोड़ों वर्षों पूर्व से जब मानव ने जब आग जलाना और उस पर काबू करना नही सीखा था, तब से ही वनों में आग प्राकृतिक रूप से लगती रही है. प्राकृतिक कारणों में शुष्क परिस्थितियों में घर्षण के कारण चि... Read more
बानर पलायन एक चिंतन …
रामनगर, भाभर के जंगलों में जड़ी बूटी खोजते हुए मेरी माकोट की आमा मालू की उझली हुई बेलों से कभी-कभी उसके फल भी तोड़ती थी. कहती थी मालू की झाल में बंदर और भालू रहते हैं क्योंकि इसके अंदर धूप,... Read more
मनुष्य और वन्यजीव के बीच सदियों से संघर्ष रहा है. इस संघर्ष को वर्तमान परिपेक्ष्य में कैसे देखें? कोई जानवर किसी इंसान की जान का दुश्मन कब बनता है? या यूं कहें कि परस्परतापूर्ण संचालित जीवन... Read more
कुछ सालों से पहाड़ी जिलों में बंदरों का आतंक और ज्यादा बढ़ गया है. बंदर फसल और बागबानी को चौपट कर रहे हैं. पहाड़ में खेती अब जिस तरह घाटे का सौदा हो चुकी है उसमें जंगली जानवरों – ख़ास तौर से... Read more
हरेला सोसायटी के युवाओं की मुहिम का हिस्सा बनकर आप भी उत्तराखंड के जंगलों को आग से बचा सकते हैं
जनवरी का आधा महीना जा चुका है, फरवरी खत्म होते-होते बीते साल की तरह जंगलों में आग लगने की खबरें अख़बारों में छपना शुरू हो जायेंगी. सोशियल साइट्स पर करुण हृदय सम्राट साथी मार्मिक पोस्ट लगायेंग... Read more
डूबते पहाड़ और धुंध में विलीन होते महानगर
डूबते पहाड़ और धुंध में विलीन होते महानगर, सुनने में कैसा लगता है यह वाक्य? निःसन्देह खराब ही लगेगा. क्योंकि पहाड़ के डूबने का अर्थ है हमारे अस्तित्व का डूबना. पहाड़ डूबेगा तो सब कुछ डूब जाए... Read more
उत्तराखण्ड का एक गुमनाम पर्यावरण मित्र
जब प्रकृति वैभव की बात होती है तो तुरंत मानस पटल पर सुखी समृद्ध जीवन का बिम्ब उभरता है और दिखता है उस जहाँ में हँसते गाते कलरव करते जीवों का संसार और जीवन के लिए प्रकृति की साझेदारी. प्रकृति... Read more
पर्यावरण की बिगड़ती दशा, विशेष रूप से जल स्रोतों में पानी की निरंतर कम होती मात्रा तथा वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों का निरंतर बढ़ता उत्सर्जन सभी के लिए चिंता का विषय है अभी जब पूरे विश्व की... Read more