मनुष्य और वन्यजीव के बीच सदियों से संघर्ष रहा है. इस संघर्ष को वर्तमान परिपेक्ष्य में कैसे देखें? कोई जानवर किसी इंसान की जान का दुश्मन कब बनता है? या यूं कहें कि परस्परतापूर्ण संचालित जीवन... Read more
हरेला सोसायटी के युवाओं की मुहिम का हिस्सा बनकर आप भी उत्तराखंड के जंगलों को आग से बचा सकते हैं
जनवरी का आधा महीना जा चुका है, फरवरी खत्म होते-होते बीते साल की तरह जंगलों में आग लगने की खबरें अख़बारों में छपना शुरू हो जायेंगी. सोशियल साइट्स पर करुण हृदय सम्राट साथी मार्मिक पोस्ट लगायेंग... Read more
उत्तराखण्ड का एक गुमनाम पर्यावरण मित्र
जब प्रकृति वैभव की बात होती है तो तुरंत मानस पटल पर सुखी समृद्ध जीवन का बिम्ब उभरता है और दिखता है उस जहाँ में हँसते गाते कलरव करते जीवों का संसार और जीवन के लिए प्रकृति की साझेदारी. प्रकृति... Read more
पर्यावरण की बिगड़ती दशा, विशेष रूप से जल स्रोतों में पानी की निरंतर कम होती मात्रा तथा वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों का निरंतर बढ़ता उत्सर्जन सभी के लिए चिंता का विषय है अभी जब पूरे विश्व की... Read more
इन दिनों कॉर्बेट पार्क में ली गयी एक तस्वीर देश भर में चर्चित है. तस्वीर में एक बाघिन कॉर्बेट पार्क में रामगंगा नदी के किनारे-किनारे ग्रासलैंड के एक छोर से दूसरे छोर की तरफ जा रही है. अपने र... Read more
गूजर: उत्तराखण्ड की तराई के प्रकृतिप्रेमी घुमंतू
गूजर भारत के गडरिया कबीले के लोग हैं. गुजर नाम संस्कृत के गूजर से निकला है, जो आज के गुजरात का मूल नाम था. कहा जाता है कि गूजर मूलतः गो-पालक थे, उन्हें गोचर कहा जाता था. उनका आदि स्थान गुजरा... Read more
उत्तराखंड की ज़मीनों पर भू माफ़िया की गिद्ध दृष्टि बनी हुई है. उत्तराखंड सरकार द्वारा लाये गए एक नए शासनादेश से वन संरक्षण अधिनियम 1980 को कमज़ोर किये जाने की आशंका जताई जा रही है. इसे राज्य... Read more
कुमाऊं की ठंडी पहाड़ियों में रहने वाले लोग लम्बे समय से जाड़ों के मौसम में तराई क्षेत्र में आ जाया करते हैं. ये लोग भयंकर जाड़े से बचने के लिए अपने पालतू जानवरों के साथ तराई के अपेक्षाकृत गर... Read more
कहीं दिल्ली न बन जाये उत्तराखंड
दिल्ली की जानलेवा ज़हरीली हवाओं ने वातावरण को इस क़दर प्रदूषित कर दिया कि सरकार को स्वास्थ्य आपातकाल लगानी पड़ी. परिस्थिती की भयावता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली के सभी स... Read more
अक्टूबर जैसा अक्टूबर आया ही नहीं इस बार पहाड़ों में
पहाड़ों में पर्यटन का दूसरा बड़ा सीजन होता है अक्टूबर सीजन. एक ज़माने में इस दौरान आने वाले बंगालियों की बड़ी संख्या के कारण इसे बंगाली सीजन कहे जाने की शुरुआत हुई. बंगाल में इस दौरान चल रही दुर... Read more