प्रिय अभिषेक की ‘लग्गू कथा’ का दूसरा भाग
“मे आई कम इन सर?”(Satire by Priy Abhishek September 2021) “कहिये! तुमको बताया था न कि तुम्हारे काम में प्रॉब्लम है. नियमों में कोई ….. ” “नहीं, नहीं सर, काम के लिये नहीं आया हूँ. मैंने आपकी... Read more
सोशल मीडिया वीरता पुरस्कार वितरित
नई दिल्ली. कल राष्ट्रपिता भवन में आयोजित समारोह में सोशल मीडिया वीरता पुरस्कारों का वितरण किया गया. युद्ध काल का सर्वोच्च सम्मान, सोशल परमवीर चक्र, लांस नायक पकड़ सिंह (मरणोपरांत) को दिया ग... Read more
प्रिय अभिषेक की ‘लग्गू कथा’
“आप भी लिखते हो?” बाबूजी ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए मुझसे कहा, जब मैंने उनको बताया कि मैं लिखता हूँ. मैं उनके सामने टेबिल के उस पार बैठा था. “हमारे साहब को पढ़ा है कभी?” उन्होंने पूछा.(Satir... Read more
नियति निर्देशक की कारिस्तानी
ये मई का महीना है. साल है दो हज़ार इक्कीस. इस वक़्त भारत में लॉक-डाउन लगा हुआ है. मैं घर में हूँ, और कर्म गति पर चिंतन कर रहा हूँ. कबीरदास जी याद आ रहे हैं- करम गति टारे नाहिं टरी.(Satire by... Read more
दुर्लभ प्रजाति के पाठक बरामद
एजेंसी. कल ग्वालियर में एसटीएफ ने छापा मारकर रेयर प्रजाति के दो पाठक बरामद किए. पाठक, हुरावली पुलिया के नीचे बोरियों में छिपा कर रखे गए थे. इस सिलसिले में पुलिस ने ठेलेश पुत्र पेलेश को गिरफ़... Read more
यूँ ही मन लगा कर रियाज़ करते रहो
हर सुबह की तरह इस सुबह भी श्रीमतीजी और बच्चे बाथरूम के दरवाजे पर रुक कर, मुझे कुछ इस तरह देख रहे थे, जैसे राह चलते लोग रुक कर बन्दर का तमाशा देखते हैं. मैं गलगलिया की तरह मुँह ऊपर कर के कभी... Read more
सरसराना: प्रिय अभिषेक का चुटीला व्यंग्य
“क्या आप अपनी नौकरी से परेशान हैं? क्या आपको अपनी नौकरी में अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है?(Sarsarana Satire by Priy Abhishek) क्या नौकरी के दौरान आप को यह महसूस होता है कि आप इस नौकरी म... Read more
वीर भोग्या वसुंधरा
शर्मा जी दिल से भगवान को याद कर रहे थे. दिल से मतलब सीधे दिल से. और अचानक भगवान प्रगट हो गये. पूछा, “बोलिये शर्मा जी क्या चाहते हो?”(Priy Abhishek Satire Veerbhogya Vsundhra) शर्मा जी ने कहा... Read more
चटोराबाद में मोहिनी से भेंट
मोहिनी मोहक है. मोहिनी मनभावन है. मोहिनी आज भैया के पास खड़ी है. मोहिनी स्थिर है. मोहिनी स्वाधार है. उसका एक पैर पंक मे उगे छोटे से टापू पर स्थापित है, और दूसरा पैर सुदूर स्थित भैया के ठेले... Read more
बोलने वाला शायर बनने का मंतर
“क्या हुआ चचा जान? बड़े बेउम्मीद-बेसहारा से दिख रहे हो!”(Shayar Satire by Priy Abhishek) “यार, शेर लिख-लिख कर मर गया; कोई रिस्पांस नहीं आता. कुछ मदद करो.” भोगीलाल कंसल्टेंसी के दर पर आज हाजी... Read more