बारह बरस बाद कुरिंजी की बहार
दक्षिण भारत में बारह वर्ष बाद फिर बहार के दिन आ गए हैं. पश्चिमी घाट की ऊंची पहाड़ियों पर प्रकृति अपनी कूंची से नीला रंग भरने लगी है. रंगो-बू की यह बेशकीमती बहार वहां खिल रहे नीला कुरिंजी के फ... Read more
दर्शनशास्त्र, फुटबॉल और कामू के फटे जूते
2014 के पिछले वर्ल्ड कप में दक्षिण कोरिया और जर्मनी के खिलाफ जिस तरह का खेल अल्जीरिया ने दिखाया था, उसे अफ्रीकी फुटबॉल का एक पावरहाउस माना जाने लगा था. ‘डेज़र्ट फ़ॉक्सेज़’ के नाम से... Read more
ये क्लब ड्रग्स के दुष्परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाने का काम करेंगे। अदालत ने यह फ़ैसला, रामनगर निवासी श्वेता माशिवाल द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए किया है। उत्तराखं... Read more
माय नेम इज़ एंथनी गोंसाल्वेज़
प्यारे लाल शर्मा (लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल) भले ही यह कहें कि उन्होंने अपने गुरु एंथनी गोंसाल्वेस के प्रति कृतज्ञता स्वरूप एक सस्ते से गाने में अपने गुरू का नाम डलवाया लेकिन बात कुछ जंचती नहीं... Read more
“इन पेड़ों को काटने से पहले तुम्हें अपनी कुल्हाड़ियाँ हमारी देहों पर चलानी होंगी!”
26 मार्च 1974. उत्तराखंड का एक छोटा सा गाँव. नाम रैणी. गाँव की सभी महिलाएं एक बहादुर स्त्री के नेतृत्व में तीन दिन और तीन रात अपने पेड़ों को बचाने के लिए उनसे चिपक कर खड़ी रहती हैं. इन पेड़ों क... Read more
भीमताल का फ्रेडी सैप
वन स्ट्रॉ रेवोल्यूशन वाले जापानी मासानोबू फुकुओका और पर्मीकल्चर के प्रतिनिधि आस्ट्रियाई किसान सैप होल्ज़र फिलहाल विश्वविख्यात नाम हैं और दुनिया भर के पर्यावरणविद उन्हें हाथोंहाथ लेते हैं और उ... Read more
हम सब अपने बच्चों के हत्यारे हैं
सुन्दर चन्द ठाकुर कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में ज... Read more