आवारा कहूं या कॉस्मोपॉलिटन
कुछ कुत्ते पालतू नहीं बनते. लाख कोशिश करके देख लो, आप उन्हें पालतू बना ही नहीं सकते. पड़ोस के गांव से बहककर कॉलोनी में आ गई एक कुतिया ने दो साल पहले कुछ बच्चे दिए थे, जिनमें दो जिंदा बचे. उन... Read more
बावरे अहेरी
ललित मोहन रयाल उत्तराखण्ड सरकार की प्रशासनिक सेवा में कार्यरत ललित मोहन रयाल का लेखन अपनी चुटीली भाषा और पैनी निगाह के लिए जाना जाता है. 2018 में प्रकाशित उनकी पुस्तक ‘खड़कमाफी की स्मृत... Read more
पैसा कमाने से ज्यादा जरुरी है मनी मैनेजमेंट
डाॅ. गौरव जोशी हल्द्वानी में रहने वाले लेखक निवेशक व डेंटिस्ट हैं. आप भले ही 10 हजार रुपये कमाते हैं या फिर 10 लाख रुपये महीना. आपकी क्वालिटी लाइफ के लिए यह वेतन कोई मायने नहीं रखता है. हर क... Read more
हेम पंत हेम पंत मूलतः पिथौरागढ़ के रहने वाले हैं. वर्तमान में रुद्रपुर में कार्यरत हैं. हेम पंत उत्तराखंड में सांस्कृतिक चेतना फैलाने का कार्य कर रहे ‘क्रियेटिव उत्तराखंड’ के... Read more
सारे रोगों का इलाज हुआ करती थी लाल दवाई की शीशी
पहले हमारे गाँव में लाल दवाई मिलती थी. और गाँव ही क्या पूरे मुल्क में चला करती थी यह लाल दवाई. चाचा नेहरू से लेकर चचा जान तक सब दीवाने थे इसके. आजकल के पूंजी के बच्चे क्या जाने ये सब. पता नह... Read more
हिमालय की गोदी में बसे उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है. यहाँ के निवासी शांत, साहसी, ईमानदार और सेना का अंग बनकर देश की रक्षा करने में अग्रणी भूमिका निभाते हैं और गर्व का अनुभव कर... Read more
जब शिव-पार्वती बनते हैं गांव के दीदी-जीजाजी
पंथ्यूड़ी में गमरा पूजा उत्तराखंड में भगवान व प्रकृति को विभिन्न रूपों में पूजा जाता है. समय-समय पर उनसे संबंधित अनेक पर्व व त्यौहार मनाए जाते हैं. देवभूमि में एक ऐसा अनोखा पर्व मनाया जाता है... Read more
दिलों को जोड़ने के लिए बहुत कुछ भूलना होगा
दिलीप मंडल इंडिया टुडे के पूर्व एडिटर, दिलीप देश के प्रमुख पत्रकार हैं. वह कुछ मीडिया घरानों का नेतृत्व कर चुके हैं और दलितों के मुद्दों के जानकार रहे हैं. मीडिया से सम्बंधित विषयों... Read more
बूढ़े कारीगर की मौत
बूढ़े कारीगर की मौत हमारा यह कारीगर एक सामान्य आदमी था. 1930 के दशक में कभी बनारस में पैदा हुआ. मुल्क आज़ाद हुआ तो पाकिस्तान जाने का मौका था लेकिन उसने यहीं रहने की सोची. पुरखों की जमीन छोड़कर... Read more
गिर्दा की नवीं पुण्यतिथि
प्रख्यात जनधर्मी कलाकार-कवि के रूप में गिर्दा हमारे दिलों में अमर हैं. आज उन्हें गए हुए नौ साल बीत गए. उनके अवसान के बाद उनके परम मित्र और हिन्दी के बड़े कवि वीरेन डंगवाल ने कबाड़खाना ब्लॉग पर... Read more