देशभक्त मोहन जोशी: स्वतंत्रता सेनानी जो अंग्रेजों की मशीनगन के सामने भी नहीं झुके
कुमाऊं के स्वतन्त्रता संग्राम में मोहन जोशी एक ऐसा नाम रहा है जिसने बतौर संग्रामी के ही नहीं, अपितु यशस्वी संपादक के रुप में अपना विशिष्ट स्थान बनाया. मोहन जोशी ऐसे यशस्वी संग्रामी रहे जिनकी... Read more
वापसी: एक पहाड़ी ब्वारी की व्यथा
“बिना पूजा के बात नहीं बनेगी, भाई. बिलकुल नहीं बनेगी.” दीपक अपनी माँ की ओर देखते हुए सुभाष से बोला. (Wapsi Story by Yugal Joshi) सुभाष ने हैरान होकर उसकी ओर देखा. पूजा से उसका क्या मतलब... Read more
शहीद दिवस से नाथूराम स्मरण दिवस तक की यात्रा
“हर बार मुख्य अतिथि बनने वाले मुख्य अतिथि महोदय, अध्यक्षता के लिए मरे जा रहे अध्यक्ष जी, उपस्थित सखाओं और सखियों! आज तीस जनवरी है. आज का दिन हम नाथूराम स्मरण दिवस के रूप में मनाते हैं. बहुत... Read more
काफल तोड़ने वाले लड़के और बूढी चुड़ैल की लोककथा
एक इन्दरू मोल्या था. उसके माँ बाप नहीं थे. वह गायों के साथ रहता था. एक दिन वह गाय चरा रहा था तभी उसकी इच्छा काफल खाने की हई. वह काफल के पड़ पर चढ़ गया और काफल खाने खाने लगा, तभी एक डक्... Read more
ट्रेल: कुमाऊं में अंग्रेजी राज का संस्थापक
भारत के अन्य भागों की तरह कुमाऊं में भी अंग्रेजों ने अपनी कूट-नीति से सारे कुमाऊं-गढ़वाल में अपना अधिकार 1815 तक कर लिया. अपने राज्य की नींव को गहरा करने के लिए, उन्होंने ‘चीनी में लिप... Read more
एबट माउंट में ख़ब्बीस से इक मुलाक़ात
जी हाँ, ये मुलाक़ात सच्ची है महज़ किस्सागोई नहीं. ख़ब्बीस के मुलाकाती हैं पोलिटिकल साइंस में डी. लिट, दुबले पतले, बड़े पढ़ाकू, घुमक्कड़, हरफनमौला प्रोफेसर ज़ाकिर हुसैन. यारों के यार. इमोशनल... Read more
रोज की तरह, सात साल का गुट्टू मुन्ना अपनी हमउम्र पड़ोसिन चुनमुन के पास खेलने पहुँचा. चुनमुन उसे अपने मकान के दालान में खड़ी मिली. वह बड़े चाव से कुटुर-कुटुर शक्करपारे खा रही थी. गुट्टू मुन्न... Read more
ठेठ गढ़वाल के जीवन से जुड़ी चीज़ों को समझने के लिए एक तरह का रोचक शब्दकोश है ‘काऽरी तु कब्बि ना हाऽरि’
बचपन में नए साल के ग्रीटिंग कार्ड बनाने के दौरान एक युक्ति सीखी थी. रंग में डुबाया हुआ धागा लेकर (रंग के नाम पर अमूमन हमारे पास स्याही ही होती) सादे कागज़ पर हौले से अगड़म-बगड़म आकार में रख... Read more
हम जैसा सोचते हैं, वैसे ही बन जाते हैं
हम जीवन में वही बनते हैं, जो अपने बारे में सोचते हैं. हमारी जीवन में वैसी ही घटनाएं घटती हैं, जैसी घटनाओं के बारे में हम सोचते हैं. हम जैसे बनते जाते हैं, वैसे ही लोग भी हमसे जुड़ते जाते हैं... Read more
बचपन से भवाली के ताजमहल के नाम से जाने जाने वाली राजपुताना राजघराने की एक धारोहर के बारे में जानने की मेरी हार्दिक इच्छा रही है. दोस्तों के साथ खाली समय में शाम के वक्त वहाँ जाना और उसके मध्... Read more