शेरदा अनपढ़ और नरेन्द्र सिंह नेगी की जनप्रतिनिधियों पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी
लगभग चौबीस सौ साल पहले जन्मे महान दार्शनिक अरस्तु द्वारा शासन सम्बन्धी व्यवस्था पर प्रतिपादित अपने तीन वर्गीकरण में से जनतांत्रिक शासन ही आज भी लोकप्रिय शासन माना जाता है. अब्राहम लिंकन ने ल... Read more
आज बगुवावासा में पड़ाव था. रूपकुंड की तलहटी पर ठंडा पड़ाव है बगुवावासा. अविनखरक से सात किलोमीटर पर है पाथर नचौनियां और वहां से साढ़े चार किलोमीटर की दूरी पर है बगुवावासा. रकसेक कंधों पर डाल... Read more
जिस राष्ट्र में यह कहा जाता हो कि “तीन कोस पर पानी बदले, नौ कोस पर बोली”, जहाँ हर प्रकार की मिट्टी, विभिन्न जलवायु, सभी धर्मों के लोग पाये जाते हो, वहाँ यह समझने में थोड़ी कठिनाई होती है कि... Read more
यारसा गुम्बा : उत्तराखंड के बुग्यालों में मिलने वाली सोने से ज्यादा कीमती जड़ी
यारसा गुम्बा, यारसा गम्बू या कीड़ा जड़ी के नाम से जानी जाने वाली इस हिमालयी जड़ी-बूटी की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 25-30 लाख रुपए किलो तक है. इसके बावजूद साल भर में यारसा गुम्बा का कारोब... Read more
भिटौली से जुड़े कुमाऊनी लोकगीत
कुमाऊँ में प्रथा है कि चैत महिने में कन्या का भाई उसके लिए भेंट लेकर जाता है, जिसमें अपनी सामर्थ्य के अनुसार पक्वान, वस्त्राभूषण इत्यादि होते हैं. यह यहाँ की अत्यन्त प्राचीन प्रथा है, जो पर्... Read more
यह कविता तुम्हें हारने नहीं देगी
विलियम अर्नेस्ट हेनली की कविता इन्विक्टस (Invictus) के बारे में कहते हैं कि यह वह कविता है, जिसने 27 बरस लंबी अंधेरी कैदगाह में नेल्सन मंडेला की आत्मा को रोशन रखा. यह दूर टिमटिमाते उस तारे क... Read more
ऊंकू बामण बिर्तिकु काम छाई. कौ-कारज, ब्यौ-बरात, तिरैं-सराद मा खूब दान मिल्दु छाई. बामण भारि लद्दु-गद्दु बोकिक घौर लौटद छा. खटुलि, धोती, आटू, चौंळ, छतुरू. पैंसा दीण म नन्नी मोर जांदि छै. बरतण... Read more
आई भगवान ज्यूनै छन: मातृभाषा दिवस विशेष
पैली जमान में धार्मिक विश्वास आदिमूं लिजी भौत ठुल सहार हुंछी. जब लै कोई प्राकृतिक आपदा उनूंकैं दुखी और परेशान करछी लोगबाग यौ सोचि बेर अपुण मन कैं बोत्याई लिछी कि जो लै करो द्याप्तांल करौ और... Read more
आज है कैप्टन धूम सिंह चौहान की 135वीं जयंती
गढ़वाल राइफल्स की स्थापना 5 मई 1887 को अल्मोड़ा में हुई थी. इसी दिन पहली बटालियन रेज़ की गयी. प्रथम विश्वयुद्ध शुरु होने के समय अर्थात् 1914 में गढ़वाल राइफल्स की दो बटालियन थी. दोनों ने इस... Read more
बोलने वाला शायर बनने का मंतर
“क्या हुआ चचा जान? बड़े बेउम्मीद-बेसहारा से दिख रहे हो!”(Shayar Satire by Priy Abhishek) “यार, शेर लिख-लिख कर मर गया; कोई रिस्पांस नहीं आता. कुछ मदद करो.” भोगीलाल कंसल्टेंसी के दर पर आज हाजी... Read more