पहाड़ी जगहों पर चाय नहीं पी या मैगी नहीं खाई तो
रोज़ यदि हम एक ही जगह पर जाते भी हैं तो कई नये सुराख गुप्त रास्तों के रूप में मिल जाते हैं हमें उसी पुरानी जगह तक पहुंचने के लिए. मुक़ाम ज़रूरी है किसी भी सफ़र के लिए और यदि दरख़्त, नदी, आका... Read more
भाबर नि जौंला: प्रवास-पलायन का प्रभावी प्रतिरोध
भाबर का भौगोलिक अर्थ तो सभी जानते हैं. हिमालय की शिवालिक पहाड़ियों के दक्षिणी ओर की आठ से पंद्रह किलोमीटर चैड़ी पट्टी. पथरीला, कंकड़, गाद, बालू से भरा क्षेत्र. भाबर के दक्षिण में बीस से तीस... Read more
बातें करके लोगों का दिल कैसे जीतें
आज आपसे बेहद खास और जरूरी विषय art of public speaking पर बात करने जा रहा हूं. आप में कोई पहले से ही स्थापित स्पीकर हो या कोई ऐसा हो जो कि लोगों के बीच में अपनी बात रखते हुए थोड़ा नर्वस... Read more
जंगल बचने की आस : सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को चेतावनी दी है कि वह उसके द्वारा दी गई वनों की परिभाषा के अनुरूप ही जंगलों में अपनी गतिविधियां सुनिश्चित करें. 2023 में वन संरक्षण (अधिनियम... Read more
सोशियल मीडिया में ट्रेंड हो रहा है #SaveJageshwar
कुमाऊँ स्थित जागेश्वर मंदिर किसी परिचय का मोहताज नहीं है न ही किसी को यह बताने की आवश्यकता है कि जागेश्वर मंदिर और उसके आस-पास के देवदार के पेड़ों का महत्त्व क्या है. देवदार के जंगलों के झुरम... Read more
चाय की टपरी
दरअसल ये बात है उस शाम की; जब बेचैन मन को शांत करने की कोशिश में मैं वादियों में टहलने निकल गई थी. देहरादून की वादियां, जिसकी हरियाली का समय के साथ कहीं गायब होते जाना बड़े दुख की बात है. खैर... Read more
माँ जगदंबा सिद्ध पीठ डोलीडाना
डोलीडाना मंदिर अल्मोड़ा शहर से लगभग 3 किलोमीटर आगे गरमपानी-भवाली की ओर कर्बला के निकट पहाड़ी पर स्थित है. मुस्लिम कब्रिस्तान होने की वज़ह से जगह का नाम कर्बला पड़ा. अल्मोड़ा शहर की सीमा भी क... Read more
इस्मत चुग़ताई की कहानी : तो मर जाओ
“मैं उसके बिना जिन्दा नहीं रह सकती!” उन्होंने फैसला किया. (Toh Mar Jao) “तो मर जाओ!” जी चाहा कह दूँ. पर नहीं कह सकती. बहुत से रिश्ते हैं, जिनका लिहाज करना ही पड़ता है. एक तो दुर्भाग्य से हम... Read more
कहानी: रेल की रात
-इलाचंद्र जोशी गाड़ी आने के समय से बहुत पहले ही महेंद्र स्टेशन पर जा पहुंचा था. गाड़ी के पहुंचने का ठीक समय मालूम न हो, यह बात नहीं कही जा सकती. जिस छोटे शहर में वह आया हुआ था, वहां से जल्दी... Read more
भाबर नि जौंला…
मौसमी परिवर्तनों के चलते आई कठिनाइयां रहीं हों या रोजगार, काम-धाम की तलाश, शीत ऋतु शुरू होते ही परंपरागत पर्वतीय समाजों में हिमालय के वाशिंदे फुटहिल्स पर फैले भाबर में सदियों से ऋतु-प्रवासन... Read more