भीमताल की जर्मन बहू ने दुनिया को नयी ज़िंदगी दी
भीमताल की जून एस्टेट एक मिथक की तरह नैनीताल-वासियों के मन में हमेशा रही है. जब हम लोग नैनीताल के डीएसबी में पढ़ते थे, अमूमन आर्ट्स ब्लॉक के सामने हरे ब्लेज़र में दो फिरंगी से दिखने वाले लड़क... Read more
खुशी के पीछे भागो, पैसों के पीछे नहीं
जीवन में पैसों की जरूरत पर एक अंग्रेजी का लेख पढ़ रहा था – द नथिंगनेस ऑफ मनी. इस लेख की शुरुआत एक पहेली से की गई है. पहेली कुछ यूं है – अमीरों को वह चाहिए होता है. गरीबों के पास वह होता है.... Read more
उत्तराखंड अपनी सांस्कृतिक विवधता के लिये खूब जाना जाता है. गढ़वाल, कुमाऊं, जौनसार, भाबर से मिलकर बने इस राज्य में हर समाज की अपनी अनूठी परम्परा है. जौनसार-बावर क्षेत्र की विवाह प्रणाली भी कु... Read more
राजी जनजाति : परम्पराएँ व रहन-सहन
वनरौत को ले कर वैसे तो कई कहानियां हैं लेकिन पूर्वजों द्वारा सुनाए गए किस्सों व किमखोला के राजी समुदाय से हुई बातचीत के अनुसार —वर्षों पहले अस्कोट के राजा के दो बेटे थे, एक बार जब दोनों भाई... Read more
भारत के गर्म और उमस भरे मौसम के बीच नैनीताल की खोज ब्रिटेन के लोगों के लिए वरदान की तरह थी. औपनिवेशकवाद में अपनी मातृभूमि के ठंडे तापमान के लिए परेशान ब्रिटिशर्स को नैनीताल के मौसम में सुकून... Read more
जंग बहादुर: एक मेहनतकश पहाड़ी डोटियाल की कहानी
बादामी रंग के पुराने कागज के टुकड़े पर लिखी हुई रसीद उंगलियों में थामे हुए, जब मैं कुलियों के चित्रगुप्त अर्थात ठेकेदार की ओर से मुंह फेरकर बाहर बुझने से पहले जल उठने वाले दीपक-जैसी संध्या क... Read more
ताकुला की आमा का होटल और पहाड़ियों की बस यात्रा
शहरों से पहाड़ को लौटने पर हल्द्वानी से ही एक अलग उर्जा का संचार होने लगता है. लम्बे सफ़र की थकावट के बाद जब काठगोदाम पहुंचते हैं तो लगता है जैसे अपने घर की देली में पहुंच गये हों और अब बस भ... Read more
नए साल के लिए उत्तराखण्ड का अपना कैलेंडर
भांति-भांति के कैलेंडर देखकर एक उत्तराखंडी होने की वजह से हमारा भी मन करता है कि हमारा भी अपना एक कैलेंडर हो. उत्तराखण्ड की लोक, कला, संस्कृति से सजा-संवरा यह कैलेंडर हम सभी की चाहत का हिस्स... Read more
श्रीनगर (गढ़वाल) से जब आप चल रहे होंगे तो खिर्सू आने से पहले खिर्सू बैंड आपकी ओर मुखातिब होकर मन ही मन कहेगा कि थोड़ा रुक जाइए, जल्दी क्या है? खिर्सू तो आप पहुंच ही गए हैं. बस, एक लतड़ाग साम... Read more
नैनीताल अपने शुरुआती दिनों से ही अंग्रेजों की पंसदीदा जगहों में से एक रही है. नैनीताल को लेकर यहां रहने वाले अंग्रेजों ने अलग अलग समय में खूब लिखा भी है. अंग्रेजों के इन लेखों से पता चलता है... Read more