नए साल का कैलेण्डर, पतझड़ और मौसमे-बहार वगैरह
सभी को पता है फिर भी बताना ठीक रहता है कि नया साल आ गया. अपना मकसद नये साल की बधाई देना नहीं है. अपनी ज़बान में कुछ ऐसी तासीर है कि जिसे नया साल मुबारक कहा, उनमें से ज्यादातर की जेब साल की श... Read more
लिखता हूँ ख़त खून से स्याही न समझना
ख़तो-किताबत -शंभू राणा क़ासिद के आते-आते ख़त एक और लिख रखूं, मैं जानता हूँ, जो वो लिखेंगे जवाब में ख़तो-किताबत के प्रति ऐसी बेताबी अब देखने में नहीं आती. ज्यादा वक्त नहीं गुज़रा जब ख़तो-किताबत आम... Read more
जैसे कोई कीमती चीज सदा के लिए मिट्टी में मिल गई हो
इक नग़मा है पहलू में बजता हुआ – शंभू राणा करीब पांचेक साल बीत गए सतीश को गुजरे हुए. वह मेरा बालसखा था और इस शहर में बनने वाला पहला दोस्त भी. करीब पैंतीस-छत्तीस साल पहले जब हम पहली बार म... Read more
माफ़ करना हे पिता – अंतिम
(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता – 6) लॉटरी उनसे तब तक नहीं छूटी जब तक सरकार ने इसे बंद न कर दिया. इस धंधे में असफल रहने का कारण उनकी नजर में मैं था. बकौल उनके- गुरू हम तो क्या का क्या क... Read more
माफ़ करना हे पिता – 6
(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता – 5) एक रोज सीढ़ियों से लुढ़क कर मैं अपना माथा फुड़वा बैठा. लोगों ने घाव में चीनी चरस ठूँस कर कपड़ा बाँध दिया. कुछ दिन बाद घाव पक कर रिसने लगा, उसमें मवा... Read more
माफ़ करना हे पिता – 5
(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता – 4) माँ की मौत के साल बीतते-बीतते पिता जब्त नहीं कर पाये और दूसरी शादी की बातें होने लगीं. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण मुझे बताया गया कि मेरी देखभाल कौन कर... Read more
माफ़ करना हे पिता – 4
(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता – 3) उन्हीं दिनों कभी मैंने पिता से पूछा कि क्या इंदिरा गांधी तुमको जानती है ? क्योंकि वे खुद को सरकारी नौकर बताते थे और लोग कहते थे कि सरकार इंद्रा गांध... Read more
माफ़ करना हे पिता – 3
(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता – 2) एक दिन सुबह के वक्त मैं खेलता हुआ मकान मालिक के आँगन में जा पहुँचा. सामने रसोई में श्रीराम कुछ तल-भुन रहा था और मुझ से भी बतियाता जा रहा था. तभी अचा... Read more
माफ़ करना हे पिता – 2
(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता – 1) इसी कोठरी में मुझसे तीनेक साल छोटी बहन लगभग इतनी ही उम्र की होकर गुजर जाती है. उससे कुछ समय बाद, जब एक दोपहर पिता मुझे डॉक्टर के पास ले गये थे. बीमा... Read more
माफ़ करना हे पिता – 1
सभी के होते हैं, मेरे भी एक (ही) पिता थे. शिक्षक दिवस सन् २००१ तक मौजूद रहे. उन्होंने ७१-७२ वर्ष की उम्र तक पिता का रोल किसी घटिया अभिनेता की तरह निभाया मगर पूरे आत्म विश्वास के साथ. लेकिन म... Read more