पिछली कड़ी यहां पढ़ें- वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गई: पिथौरागढ़ महाविद्यालय में मेरा पहला दिन वर्ष 1979 सितम्बर का महीना भीगी भीगी सी सुबह. दीप तो साढ़े चार बजे ही आ मेरा दरवाजा खटखटा चुका थ... Read more
वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गई: पिथौरागढ़ महाविद्यालय में मेरा पहला दिन वर्ष 1979
पिछली कड़ी यहां पढ़ें: छिपलाकोट अंतर्कथा : मुझे एक जगह आराम नहीं, रुक जाना मेरा काम नहीं डॉ मुन्ना भाई शाह अलमस्त से वह, जो पिथौरागढ़ महाविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष रहे और मुझे... Read more
नुक्कड़ नाटकों पर नटरंग
पिछले चार दशकों से कुछ अलग तरीके से सन्देश देते, जाग्रत से कुछ मुद्दे उठाए आम लोगों से सीधे जुड़ते, संवाद करते सामने आते रहे नुक्कड़ नाटक. चारों और घिर आयी भीड़ से घिर गलियों-चौराहों, फैक्ट्... Read more
सितम्बर 22 को रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इण्डिया (आर.जी. आई) के जरिये आये नतीजे जो सांख्यिकी रपट 2020 की न्यादर्श पंजीकरण प्रणाली (एस.आर.एस) पर आधारित रहे, बताते हैं कि, “उत्तराखंड में प्रति ह... Read more
देहरादून के करीब का वह छोटा सा गांव डोईवाला,जहां गंगा राम मल्ल और पार्वती मल्ल रहते थे. उनके घर पहली जुलाई 1913 को जो शिशु जन्मा उसका नाम पड़ा दुर्गा. गंगा राम मल्ल 1/2 गोरखा राइफल में नायब... Read more
पहाड़ में ताल-चाल-खाल बनाम अमृत सरोवर
उत्तराखंड में पारम्परिक रूप से बरसात के पानी को रोकने के लिए बनाए तालाबों को चाल -खाल कहते हैं. अमूमन दो पहाड़ियों के बीच की ढलान जिस स्थान पर मिलती है वहां स्थानीय स्तर पर इन्हें बनाया जाता... Read more
पहाड़ में भू-कानून के पेंच
उत्तराखंड में भू-कानून की विसंगतियों को दूर करने के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन “भू सम्पदा विनियमन एवं विकास नियमावली” से संबंधित है. भूमि के जटिल मामलों को सुलझाने के लिए समिति... Read more
पिछली कड़ी यहां पढ़ें: छिपलाकोट अन्तर्यात्रा: सारा जमाना ले के साथ चले पिथौरागढ़ महाविद्यालय से शाम चार बजे के आस-पास बाहर निकलते ही मिल गये डॉ. मदन चंद्र भट्ट. इतिहास के विभागाध्यक्ष. अब मे... Read more
सातों-आठों में गाये जाने वाले गीत और परम्पराएं
भादों शुक्ल पक्ष पंचमी को बिरुड़ पंचमी मनती है.घरों में लिपाई पुताई की जाती है. ताँबे के बर्तन में गोबर गणेश बनता है. उस पर गाय का दूध डाल अक्षत पिठ्या फूल चढ़ाते हैं. पञ्च अनाजों के बिरुड़... Read more
पहाड़ की मत्स्य नीति
पहाड़ में पानी की कमी नहीं. चौमास आते ही पहाड़ की धरती उमड़-घुमड़ बादलों से घिर जाती है. बारिश की फुहारों से तृप्त होने लगती है. वर्षा की रिमझिम यहां की ऊबड़-खाबड़ जमीन पर खड़े पेड़ों की असं... Read more