पिछली कड़ी : छिपलाकोट अंतरयात्रा: चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ खम्पादरज्यू में सब साथी पूजा कर रहे हैं. वहां छोटी बड़ी घंटियां रखी हैं. कई पाषाण के ऊपर, पत्थरों के ढेर के ऊपर तो कई बर्फ स... Read more
बजट 2024 : प्राकृतिक खेती की बुनियाद
2024 के बजट में प्राकृतिक खेती की तकनीक को एक करोड़ किसानों तक पहुँचाने की नवीनतम घोषणा है. यह उम्मीद की गई है कि देश की अर्थव्यवस्था में खेती किसानी से गुणक व त्वरक प्रभाव उपजें. यह तभी सम्... Read more
पिछली कड़ी : छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया वापसी का दौर था. कुंडल दा, सोबन, दल बहादुर और डमर दा ने पहले से तय कर रखा था कि पहले पटौद कुंड से हो कर जाने वाले रास्... Read more
पिछली कड़ी : छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : आ चल के तुझे, मैं ले के चलूँ, इक ऐसे गगन के तले छिपलाकोट का सबसे ऊँचा धवल शिखर. केदार कुंड के ऊपर नाजुरीकोट का शिखर. यहीं रहता है छिपला का राजा. कनार देवी... Read more
भोट-तिब्बत व्यापार में दोस्ती और जुबान की कीमत
तिब्बत में भोटान्तिकों का व्यापार वहां की अनेकानेक मंडियों में होता था. इनमें मुख्य तकलाकोट, ज्ञानिमा, गरतोक, चकरा, शिवचिलम, ख्युंग लिङ्ग, दरचेन, कुंलिङ्ग, थुलिङ्ग, पुंलिङ्ग, नावरा, लामा छोर... Read more
पिछली कड़ी : छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : हवाओं पै लिख दो हवाओं के नाम हवाएं बिल्कुल सर्द हैं, हिमकणों की फुहार से भरी हैं. वेग से आती थपेड़े की तरह चुभती है और चेहरे को, माथे को सुन्न कर देती है.... Read more
पिछली कड़ी : छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : जिंदगानी के सफर में हम भी तेरे हमसफ़र हैं भटियाखान के इस तप्पड़ से आगे छिपला की ओर जाते जूता चप्पल सब उतर जाता है. सारी चढ़ाई नंगे पाँव. यहां ढाल वाले चपट... Read more
पिछली कड़ी : छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : दिशाएं देखो रंग भरी, चमक भरी उमंग भरी हम अब उस तिकोने से पहाड़ के शीर्ष पर हैं जिसके तीन ओर इससे भी ऊँची पर्वत श्रेणियाँ हैं. इन्हीं में समाहित है छिपला क... Read more
1980 के दशक में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग में प्रवक्ता रहे पूरन चंद्र जोशी. लम्बे कद के शांत मृदुभाषी, होठों पर सहज मुस्कान, दिखाई भी कम ही देते या तो क्लास में होते और या फिर प्... Read more
पिछली कड़ी : छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : दिल के चमन को खिलाता है कोई छिपला जाने के लिए बरम वाला रास्ता चुना था. बरम से पद यात्रा शुरू हुई. दिन दोपहरी चलना हुआ. बरम खूब उमस भरा था. खूब पसीना बहा.... Read more