सुरेंद्र सिंह वल्दिया : सोर घाटी से अर्जुन अवार्ड तक एक ठेठ पहाड़ी की यात्रा
सोर घाटी में जूनून की हद तक खेलों की दीवानगी रही है. छोटे बड़े मैदानों में सुबह शाम जमा होते खिलंदड़े, अपने बदन की ताकत को एक फन में बदलते, मांसपेशियों का जोर दिखाते, भुजाओं में उभर आ रही मछ... Read more
सालाना करोड़ों मुनाफ़ा कमाने वाली चंडाक मैग्नेसाइट फैक्ट्री के बंद होने की कहानी
प्रख्यात भूगर्भशास्त्री डॉ. खड्ग सिंह वल्दिया ने अपने अध्ययन में यह आंकलन किया था कि पिथौरागढ़ जनपद में मैग्नेसाइट के विशाल भंडार विद्यमान हैं. तदन्तर प्रोफेसर नौटियाल, नाथ एवं बाकलू, दूबे ए... Read more
पहाड़ों में सातों-आठों की बहार आ गयी है
भादों की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को कुमाऊं और नेपाल में हर्षोल्लास और श्रृद्धा भक्ति से भरा प्रकृति को समर्पित, उसकी पूजा का त्यौहार मनाया जाता है सातूं आठूं. शिव पार्वती तो हिमालय में ही वास क... Read more
पहाड़ में नीली क्रांति को समर्पित कुमकुम साह
पंडा फार्म पिथौरागढ़ में कभी कभार ताजी साग सब्जी खरीदने, अंडा मुर्गी लेने जाना होता. जर्सी नसल की गायों का दूध भी मिलता. यह चीजें मिलने का टाइम तय होता. सुबह और शाम. सारा माल बिलकुल ताज़ा और... Read more
कल है पहाड़ियों का लोकपर्व घ्यूं त्यार
कुमाऊं में भादों मास की संक्रांति घ्यूँ त्यार मनाया जाता है. इसे ‘ओलकिया’ या ‘ओलगी’ संक्रान्त भी कहते हैं. इस दिन घी खाने की परंपरा रही. इस कारण इसे घ्यूँ त्यार या घी... Read more
लोक में रचे बसे रंग और पहाड़ की कलाकारी
पहाड़ में अपनी भावनाओं को रेखाओं, आकृतियों का रूप दे उनमें रंग भर जीवंत कर देना हर घर-आँगन, देली-गोठ और देबता की ठया में दिखाई देता. इसमें हाथ का सीप होता. कुछ नियम कायदों के संग सीधी सादी म... Read more
शिब जू का प्यारा महीना हुआ सावन और इसी सावन की पून्यूं यानि पूर्णिमा के दिन पहाड़ में मनाई जाती है, ” जन्यो पून्यूं”. इस दिन नई जनेऊ धारण की जाती है. जनेऊ बनाने और... Read more
सावन के महीने शिव और कृष्ण के प्यारे साँप और नाग
साँप-सर्प, नाग-अजगर का नाम सुनते ही बदन में सिहरन और दिमाग में बैठा डर घनीभूत हो जाता है. जानकार कहते हैं कि सर्प तो बड़ा शर्मीला होता है. आदमजात को देखते ही लुकने- छिपने-सरक जाने की जुगाड़... Read more
लकड़ी की पाटी, निंगाल की कलम और कमेट की स्याही : पहाड़ियों के बचपन की सुनहरी याद
करीब एक फीट चौड़ी तो डेढ़ फीट लम्बी और आधा इंच मोटाई की तख्ती. इसकी लकड़ी होती रीठा, पांगर, तुन, अखरोट, खड़िक, बितोड़, चीड़ या द्यार-देवदार की, जिनके सूखे गिंडों को आरे से काट बसूले से छील र... Read more
पहाड़ियों के गोठ में रहने वाले जानवरों को होने वाले रोग और सयानों के बताये ईलाज
पहाड़ में हर घर गोठ में जानवर हो और उनकी देखभाल में कोई कोर कसर रह जाए तो घर की बूड़ि बाडियों को फड़फड़ेट हो जाती है. ब्वारियों की शामत आ जाने वाली हुई और पशुओं की सार संभार में चेलियों की स... Read more