भाबर के गांवों में टैक्टरों के कारण बैल रखने तो लोगों ने अब खत्म ही कर दिये हैं. दूध के लिये लोग गाय की अपेक्षा भैंस पालना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि उसके दूध में फैट ज्यादा होता है और डेय... Read more
आजादी के आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी कुमाऊं की यात्रा पर आने से लगभग 15 साल पहले ही 1915 – 16 में हरिद्वार और देहरादून आ चुके थे. तब स्थानीय लोगों ने गांधी जी को आर्य समाज में बोलते... Read more
पिछली सदी के अंत तक जब टीवी का प्रचलन बहुत ज्यादा नहीं था, तब तक रेडियो ही आमजन के मनोरंजन का साधन था. जैसे-जैसे टीवी का प्रचलन बढ़ा, तथाकथित मनोरंजक चैनलों की बाढ़ आई और उसमें पारिवारिक दैन... Read more
तब टार्च, लालटेन व लैम्फू के बिना अधूरा था जीवन -जगमोहन रौतेला आजकल तो भाबर में अब शहर तो छोड़िए गांव-गांव बिजली की चमक पहुँच गयी है. चार दशक पहले ऐसा नहीं था. भाबर के अधिकतर गांव रात को अधे... Read more
उत्तराखण्ड के दोनों अंचलों कुमाऊं और गढ़वाल में भादो महीने की संक्रान्ति को घ्यूं त्यार मनाया जाता है. कुमाऊं के कुछ इलाकों और गढ़वाल में इसे घी संक्रान्त कहते हैं. इस दिन विभिन्न प्रकार के... Read more