‘गया’ का दान ऐसे गया
साल 1846 ईसवी. अवध के कैंसर से जूझते नवाब अमजद अली शाह अपने अंतिम दिन गिन रहे थे. कभी समृद्धि की चकाचौंध से भरे अवध के विशाल साम्राज्य के भी अंतिम दिन शुरू होने वाले थे. 1801 की संधि के अनुस... Read more
जखिया: पहाड़ का अद्भुत तड़का
मेरे एक मित्र मजाक में कहा करते हैं कि अगर कोटद्वार या ऋषिकेश से दिल्ली जा रही किसी बस की औचक चेकिंग की जाए तो हर पहाड़ी के ब्रीफकेस में एक पोटली में रखा जखिया जरूर मिल जाएगा. मेरे मित्र भले... Read more
कुमाऊंनी रायता फैल गया
सुन लो हे मेरे चटोरे पाठको. हम न तो गोरे अंग्रेजों की तरह हैं,जो पूरी जिंदगी वो पास्ता-वास्ता, पिज्जा-विज्जा, टोस्ट-पोस्ट खाकर काट दें और न ही उन नाटे-बौने चीनी और जापानियों की तरह, जो जिंदग... Read more
विकराल भूत भी डरते हैं सिसौणे की सब्जी से
सिसौण कहो या कंडाली- ये सब्जी हिम्मत वाली इस बार के पहाड़ी जायके को पढ़ने से पहले अपने अंदर हिम्मत जुटा लीजिए, क्योंकि यह सब्जी नाम से लेकर काम तक हिम्मत वाली ही है. पहले तो हिंदी में इसका न... Read more
पहाड़ी खून में है पहाड़ी नूण
अपना मित्र और पूर्व में सहकर्मी रहा शमशेर नेगी एक बड़ी मजेदार बात कहा करता है- “जिसने नहीं खाया पहाड़ी नूण, उसमें नहीं पहाड़ी खून.” बंदे की बात में दम तो है. कोई परिवार चाहे पहाड... Read more
एक चिलम गांजा और बीच झूला पुल में
बात उन दिनों की है, जब मेरी नालायकी और कुसंग से मेरा परिवार आजिज आ चुका था. मां की नसीहत कानों से टकरा कर बैकफायर कर जाती. पिताजी के हस्त प्रहारों की धार कुंद हो गई थी. कई लाठी, डंडे, सोंटी... Read more
बड़े-बड़े गुण वाला बड़ी का साग
हिमाचल वाला किस्सा यहां भी दोहराया गया. फर्क सिर्फ ये है कि शिमला में शर्मा जी थे और यहां हल्द्वानी में वर्मा जी. आउटगोइंग गर्मी, इनकमिंग बरसात के दिनों में एक दिन शर्मा जी रात को शिमला के प... Read more
सैणी हो या मैंस, सबकी पसंद चैंस
चैंस कह लो, चैंसा या फिर चैंसू. नाम अलग-अलग अंचलों में कुछ फर्क के साथ अलग हों, लेकिन इसका स्वाद अस्कोट से बड़कोट तक पूरे उत्तराखंड में एक जैसा मिलेगा. थोड़ा उड़द की दाल का लसलसापन, कुछ इसको... Read more
भांग की चटनी – चटोरे पहाड़ियों की सबसे बड़ी कमजोरी
चंदू की चाची को चांदनीखाल में चटनी चटाई जूनियर कक्षाओं में बाल मंडली ने अनुप्रास अलंकार का एक घरेलू उदाहरण ईजाद किया-था “ चंदू के चाचा ने चंदू की चाची को चांदनी चौक में चांदी की चम... Read more
तब ऐसी ईमानदारी थी हल्द्वानी में
दो दिन पहले एक मित्र का एक दुकान में कुछ सामान खरीदने के दौरान पर्स छूट गया. मेरे मित्र दोबारा पर्स के बारे में पता करने दुकान में पहुंचे तो दुकानदार ने किसी पर्स के मिलने से साफ इन्कार कर द... Read more