इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और पुरुष संभवतः अपने कठिन जीवन की पीड़ा सहकर भी इस प्रकार से आशान्वित हैं कि अंधेरा वहीं काबिज़ रहेग... Read more
ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए
तस्वीरें बोलती हैं… तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं. ऐसी ही बोलती तस्वीर आज नरेंद्रनगर से आई है. इत्तेफ़ाक ये है कि ये तब आई है जब हमारा राज्य 25वें साल मे... Read more
सर्दियों की दस्तक
उत्तराखंड, जिसे अक्सर “देवभूमि” के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों, झीलों और नदियों के लिए प्रसिद्ध है। जब इस क्षेत्र में सर्दी आती है, तो पूरा इलाका मनमो... Read more
शेरवुड कॉलेज नैनीताल
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक है. शेरवुड की स्थापना 1869 में नैनीताल में, आर्चडील बेलीर, एक अंग्रेज अधिकारी ने की थी. कॉलेज का नाम श... Read more
दीप पर्व में रंगोली
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक स्त्री की होती है जो त्योहार की व्यस्तता से थोड़ा समय निकालकर या संभवतः अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा करने ह... Read more
इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को धनतेरस के साथ ही 5 दिनों तक मनाए जाने वाले दीपावली का त्योहार शुरू हो गया है. पर अभी भी लक्ष्मी पूजन किस दिन किया ज... Read more
मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा
चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार मोड़ पार ऊँचे में बना भवन जो नामी गिरामी वैज्ञानिक और प्राचार्य डॉ देवी दत्त पंत का आवास ह... Read more
सर्वोदयी सेविका शशि प्रभा रावत नहीं रहीं
सर्वोदयी सेविका शशि प्रभा रावत नहीं रहीं. उनका एक परिचय यह भी है कि वह सर्वोदय सेवक स्वर्गीय मानसिंह रावत की पत्नी थी. उनका जीवन केवल एक पत्नी एक मां के रूप में ही नहीं बल्कि समाज के प्रति उ... Read more
भू विधान व मूल निवास की लहर
मूल निवास व भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति की ऋषिकेश में संपन्न महारैली से उत्तराखंड आंदोलन के समय उपजे जोश की स्मृतियां जीवंत हो गयीं. प्रदेश के मूल निवासियों के हक-हुकूक की बुलंद आवाज प्रतिध... Read more
उत्तराखंड हिमवंत के देव वृक्ष पय्यां
कालिदास ने हिमालय को देवतुल कहा है. पुराणों में देवलोक की कल्पना भी हिमालय के कैलाश-मानसरोवर पथ के मध्य कहीं की है. देवताओं के कोषाध्यक्ष, कुबेर की नगरी अलकापुरी भी कैलाश के निकट ही बताई गई... Read more