वे मगहर में नहीं अपने घर में मर रहे हैं
हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ – 3 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी उसमें हरीश चन्द्र पाण्डे का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है. समकालीन हिन्दी कव... Read more
एक दिन में नष्ट किया जा सकता है कोई भी पुस्तकालय
हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ – 2 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी उसमें हरीश चन्द्र पाण्डे का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है. समकालीन हिन्दी कव... Read more
एक बुरूंश कहीं खिलता है
हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ – 1 एक बुरूंश कहीं खिलता है – हरीश चन्द्र पांडे खून को अपना रंग दिया है बुरूंश ने बुरूंश ने सिखाया है फेफड़ों में भरपूर हवा भरकर कैसे हंसा जाता है क... Read more
बारिश एक राह है स्त्री तक जाने की
बारिश -आलोक धन्वा बारिश एक राह है स्त्री तक जाने की बरसता हुआ पानी बहता है जीवित और मृत मनृष्यों के बीच बारिश एक तरह की रात है एक सुदूर और बाहरी चीज़ इतने लंबे समय के बाद भी शरीर से ज़्यादा... Read more
आलोक धन्वा – जिसकी दुनिया रोज़ बनती है!
आलोक धन्वा – जिसकी दुनिया रोज़ बनती है -शिरीष मौर्य हर उस आदमी की एक नहीं कई प्रिय पुस्तकें होती हैं, जो किताबों की दुनिया में रहता है. मैं भी किसी हद तक इस दुनिया में रहता हूँ और ऐसी... Read more
अपने भीतर घिरते जाने की कविताः आलोक धन्वा के बारे में -शिवप्रसाद जोशी अगर हिंदी कविता में इधर सबसे बेचैन और तड़प भरी रूह के पास जाना हो तो वो आलोक धन्वा के पास है. अपने दौर के तूफ़ानी कवि के... Read more
कोयल उस ऋतु को बचा रही है
चेन्नई में कोयल -आलोक धन्वा चेन्नई में कोयल बोल रही है जबकि मई का महीना आया हुआ है समुद्र के किनारे बसे इस शहर में कोयल बोल रही है अपनी बोली क्या हिंदी और क्या तमिल उतने ही मीठे बोल जैसे अवध... Read more
भारतवासी होने का सौभाग्य तो आम से भी बनता है
आम के बाग़ -आलोक धन्वा आम के फले हुए पेड़ों के बाग़ में कब जाऊँगा? मुझे पता है कि अवध, दीघा और मालदह में घने बाग़ हैं आम के लेकिन अब कितने और कहाँ कहाँ अक्सर तो उनके उजड़ने की ख़बरें आती रहत... Read more
रामी बुढ़िया ( लोककथा )
एक गांव में रामी नाम की बुढिया रहती थी, उसकी बेटी का विवाह दूर एक गांव में हुआ था जहाँ जाने के लिये घना जंगल पार करना पड़ता था. रामी का बहुत मन हो रहा था कि वह अपनी बिटिया से मिल कर आये. (Fol... Read more
कितनी-कितनी लड़कियां भागती हैं मन ही मन
भागी हुई लड़कियां -आलोक धन्वा एक घर की जंजीरें कितना ज्यादा दिखाई पड़ती हैं जब घर से कोई लड़की भागती है क्या उस रात की याद आ रही है जो पुरानी फिल्मों में बार-बार आती थी जब भी कोई लड़की घर से भग... Read more