दूध और दवा
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree बात बहुत छोटी-सी है, नाजुक और लचीली, पर मौका पाते ही सिर तान लेती है. कोई काम शुरू करने, सोने या पल-भर को आराम से पहले लगता... Read more
अजब है मूली पर यह फसक
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree हिन्दुस्तानी टेलीविजन और सिनेमा की दुनिया को बनाने और बदलने का रास्ता दिखाने वाले मनोहरश्याम जोशी की किस्सागोई से कौन अपरचि... Read more
जैसा भी था आदमी का बच्चा तो था
केशरू एक गुट्मुटी और बेडौल कद काठी का भोला भाला इंसान था. मेरी कैलकुलेशन के हिसाब से वह लगभग पौने फिट का भी क्या रहा होगा. हो भी सकता है कि मेरे अनुमान में एकाद इंच की घट बढ़ रही होगी. लेकिन... Read more
भल करियक भलै हुनेर भै : कुमाऊनी लघुकथा
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree सिबौ हंसुलि बिचारिक ग्रहौ खराब भोय, ईज बाबू लि ब्या करौ मस्त दैज ले दे आब जदुक उनरि हैस्यत छी वीहैबेर बाकिकरौ. तौ ब्या ले ठ... Read more
मामूली सी बात पर माँ मुझ पर क्यों भड़क गयी?
तकरीबन सात साल का हरीश आज सुबह से ही अपनी धुन में इधर-उधर नाचता फिर रहा था. अपनी धुन में मगन हरीश अचानक देखता है कि घर में एक आदमी आया है और दरवाजे पर खड़ा है. पर उस मेहमान को अंदर नहीं बैठा... Read more
कलर्स ऑफ होप सीजन-2 के 12 युवा कलाकार
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree इस साल मार्च में ‘रमोलिया हाउस की शुरुआत ‘कलर्स ऑफ होप’ चित्रकला प्रदर्शनी से हुई थी. इस प्रदर्शनी में उत्तराखण्ड के 1... Read more
सुबह का आना, कभी न ख़त्म होने वाली उम्मीद का आना
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree हर रोज सुबह का होना मेरे लिए एक बहुत बड़ी वजह है कभी खत्म न होने वाली सकारात्मक उम्मीद की. वह उम्मीद जो मुझे पल-पल रोश... Read more
सरुलि और चाहा केतलि
सरुलि चाहा केतलि बै निकलनैर वाल भाप कि एकटक देखण लागि रे छी. पटालनाक उच निच आंगन, एक कोण में माट लै लिपि चुल भै. जा में लाकड़ जल बेर धुं बण गयिं. बस लाकड़नक राख निशाणि तौर पर बच गयि. चाहा उब... Read more
दिनांक 29 सितंबर 23 को राष्ट्रीय दृष्टि बाधित संस्थान देहरादून में विद्यासागर नौटियाल पुरस्कार सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम सेव हिमालय मुवमेंट और संवेदना ग्रुप देहरादून के स... Read more
कहानी : मैं हिंदू हूं
-असग़र वजाहत ऐसी चीख कि मुर्दे भी क़ब्र में उठकर खड़े हो जाएं. लगा कि आवाज़ बिल्कुल कानों के पास से आई है. उन हालात में…मैं उछलकर चारपाई पर बैठ गया, आसमान पर अब भी तारे थे…शायद र... Read more