भारत की आज़ादी के बाद की शुरुआती दो पीढ़ियों के लिए इब्ने सफ़ी एक नाम से कहीं बढ़ कर हैं. भारतीय उपमहाद्वीप में जासूसी उपन्यास लिखने के मामले में वे सबसे अव्वल हैं. उन्हें भारत और सरहद पार प... Read more
फिर भी मैं करता हूँ प्यार
प्रेम - शमशेर बहादुर सिंह द्रव्य नहीं कुछ मेरे पास फिर भी मैं करता हूँ प्यार रूप नहीं कुछ मेरे पास फिर भी मैं करता हूं प्यार सांसारिक व्यवहार न ज्ञान फिर भी मैं करता हूँ प्यार शक्ति न यौवन प... Read more
अब मैं सूरज को नहीं डूबने दूंगा
अब मैं सूरज को नहीं डूबने दूंगा - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना देखो मैंने कंधे चौड़े कर लिये हैं मुट्ठियाँ मजबूत कर ली हैं और ढलान पर एड़ियाँ जमाकर खड़ा होना मैंने सीख लिया है. घबराओ मत मैं क्ष... Read more
नैनीताल में नसीरुद्दीन शाह के शुरुआती दिन
देश के सर्वकालीन महानतम अभिनेताओं में से एक नसीरुद्दीन शाह ने अभी कुछ दिन पहले अपना जन्मदिन मनाया है. यह अलग बात है कि अपनी आत्मकथा ‘ एंड देन वन डे’ में वे लिखते हैं – “मेरा जन्म लखनऊ के नजद... Read more
अंगरेजों ने अल्मोड़े का नक्शा औरै और किया
कुमाऊँ के आदिकवि माने जाने वाले लोकरत्न गुमानी से का जन्म 1790 ई. माना गया है. गुमानी के पूर्वज पिथौरागढ़ जिले के गंगोल क्षेत्र में उप्राड़ा गांव के थे. इस लिहाज से जब कवि गुमानी ने कविता लि... Read more
निमक का है हरामी यह खुदा भेजा क्यों हिन्दुस्तां
गढ़वाल शैली की चित्रकला के प्रवर्तक महान चित्रकार और कवि मौलाराम (1743-1833) की कला बहुत लम्बे समय तक जनता के सम्मुख न आ सकी. उनकी मृत्यु के करीब डेढ़ सौ सालों बाद बैरिस्टर मुकुंदीलाल ने उनके... Read more
पूरा अपना ही है देहरादून : राजेश सकलानी की कविता
देहरादून निवासी युवा कवि राजेश सकलानी के पिछले कविता संग्रह पुश्तों का बयान का में कवि और उसकी कविता के बारे में हिन्दी के वरिष्ठ कवि और टिप्पणीकार असद ज़ैदी का कहना है: राजेश सकलानी की कविता... Read more
शेरदा अनपढ़ की कविता – को छै तू
भुर भुर उज्याई जसी जाणि रत्तै ब्याण,भिकुवे सिकड़ी कसि ओढ़ी जै निसाण,खित्त कनैं हंसणऔर झऊ कनैं चाण,क्वाठन कुरकाती लगूंमुख क बुलाण,मिसिर है मिठि लागींकार्तिकी मौ छै तूपूषेकि पालङ जसीओ खड़्यूणी... Read more
प्रेम कविता में दरवाजा - हेमंत कुकरेती उसने तय किया भूख मिट जाएवह प्रेम की कविता लिखेगाजिसमें प्रेम नामक शब्द कहीं नहीं होगाअद्भुत प्रेम कविता होगी वह इसके लिए नफ़रत और युद्ध युद्ध और व... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 40 पिछली कड़ी: भाषण देते हुए जब मेरे पैर कांपते रहे, जुबान हकलाती रही और दिमाग सुन्न पड़ गया जैसा कि अब तक आप लोगों को मालूम चल ही चुका होगा कि बचपन से ही मैं खेलों का ब... Read more