अल्मोड़ियापन, अल्मोड़ियत या अल्मोड़िया चाल का दस्तावेज है भूमिका जोशी की पहली किताब
‘लच्छी’ भूमिका जोशी का इसी वर्ष प्रकाशित उपन्यास है. वाणी प्रकाशन से छपा यह उपन्यास एक घर, उसके बाशिन्दों और एक शहर की कहानी है. उपन्यास में अपने को पढ़वा ले जाने की क्षमता है. छह उप-शीर्षको... Read more
पुस्तक परिचय : पहला अध्यापक
मूल लेखक – चिंगिज ऐटमाटोव (Pehla Adhyapak Chingeez Aitmatov)मूल भाषा – रूसीहिंदी अनुवादक – भीष्म साहनीपुस्तक परिचय – लवकुश अनंत यह छोटी पुस्तक संघर्ष, जिजीवषा , मेहनत और लगन का सम्पूर्... Read more
शैलेश मटियानी से पहली मुलाकात
यह किताब मैंने 2001 में मटियानीजी की मृत्यु के फ़ौरन बाद लिखनी शुरू की थी और इसके न जाने कितने ड्राफ्ट तैयार किये. हर बार लगता था कि मैं जो लिखना चाहता था, उसे न लिखकर कुछ और लिखने लगता था.... Read more
मटियानी का सूबेदार नैनसिंह और उसकी सूबेदारनी
मेरे लिये बड़ी कहानी या कविता वही है जिसे पढ़कर कुछ समय के लिये बस चुप रहने का मन करे. आँखों में नमी, होठों पर हल्की मुस्कान, हंसी से लाल गाल, गरम कान, लम्बी गहरी सांस, रोंगटे खड़ेकर शरीर को... Read more
मेरी आवाज़ ही पहचान है, ग़र याद रहे: लता सुर-गाथा
भारतीय सिनेमा की प्रतिनिधि फिल्मों में से एक गाइड में वहीदा रहमान और देव आनंद पर फिल्माया गाना आज फिर जीने की तमन्ना है चित्रपट की अमर देन है. इस खनकदार व दिलकश़ बोल के लिए पूरा देश लता मंगे... Read more
आज शैलेश मटियानी जी को गए उन्नीस साल बीत गए
उनके पास बहुत सारी भाषाएँ थीं जिन्हें वे जीवन भर तराशते रहे. उनके यहाँ असंख्य ठेठ गंवई पात्र हैं तो अभिजात्य से भरपूर स्त्रियाँ भी. वे रमौल-बफौलों की कहानी को किसी अनुभवी जगरिये की सी साध के... Read more
मुरली सी सरसता वाला दीवाना कवि : मुरली दीवान
मुरली दीवान. एक ऐसा नाम जो समकालीन गढ़वाली कवियों में किसी परिचय का मोहताज़ नहीं. एक ऐसा कवि जो कबीर की तरह व्यंग्य को हथियार बनाता है और उन्हीं की तरह ठेठ लोक समाज से शब्द, बिम्ब और विषय भी... Read more
प्रेमपरकास की बछिया
प्रेमपरकास अग्गरवाल का खानदान पिछली तीन पीढ़ियों से उस पहाड़ी कसबे में तिजारत कर रहा था. तनिक मुटल्ले प्रेमपरकास से मेरी स्कूल के समय से ही दोस्ती थी. उसके एक हाथ में छः उंगलियाँ थीं और उसका... Read more
बंजारा मासाब की शादी का किस्सा
प्रसिद्ध चित्रकार, मूर्तिकार व लेखक नवीन वर्मा ‘बंजारा’ का अचानक चले जाना सभी के लिए एक बहुत गहरा आघात है. उनकी कला में सामाजिक संरचनाओं की अभिव्यक्ति आभास कराती थी कि वह कितनी बारीकी से समा... Read more
नटखट चैतू के चैतू झांजी बनने की कहानी
आज फिर जशोदा काकी चैक से बाहर नहीं दिखी, रास्ते से आते जाते लोगों ने आज फिर काकी को एकतर्फा घुंघट में गोशाला में मौळ सुतर करते देखा. एक आध घस्येरी साथियों ने आवाज भी दी थी जंगल आने के लिए, ऐ... Read more