सुनिए शेरदा अनपढ़ की संगीतबद्ध कविता ‘को छै तू’
इस तरह आने वाली पीढ़ी विरासत को संभालते हुए सम्मान देती है, आगे बढ़ाने में अपना योगदान देती है. शेरदा अनपढ़ की लोकप्रिय कविताओं में से एक है ‘को छै तू.’ करन जोशी उत्तराखण्ड के लोकगी... Read more
पुस्तक समीक्षा यह पुस्तक प्रोजेक्ट म्यूस के अन्तर्गत सन् 2017 में यूनिवर्सिटी औफ ईलिनौय प्रेस द्वारा छापी गयी है जिसके लेखक अमरीकी मूल की श्वेत प्रजाती से ताल्लुक रखने वाले स्टीफन फियोल हैं.... Read more
शहीद होते फौजी को अंतिम क्षणों में बीवी के अल्ट्रासाउंड की चिंता सताती रही
राधिका की जब आंख खुली कमरे में अनेस-मनेस हो रखी थी. अभी कुछ देर पहले ही तो आंख लगी थी लेकिन उसे लग रहा था पता नहीं कितना सो गई. आज दिप्पू दो महीने की छुट्टी काटकर जम्मू-कश्मीर जा रहा था. राध... Read more
जिंदे को लात, मरे को भात: एक उत्तराखंडी लोककथा
एक गांव में एक बहुत बूढ़ा अपने छोटे लड़के, बहू और अपनी औरत के साथ रहता था. उसके दो लड़के और भी थे, पर वे नौकरी की तलाश में बाहर चले गए थे और वहीं बस गये थे. बूढा अपने समय में बहुत प्रतिष्ठित... Read more
युगमंच नैनीताल : रंगमंच और सिनेमा जगत को नामचीन कलाकार देने वाला थिएटर ग्रुप
उत्तराखण्ड में रंगमंच के विकास की गरज से साल 1976 में ‘युगमंच’ की स्थापना की गयी. चार दशक के अपने सफर में युगमंच हिन्दी रंग जगत की उन चुनिंदा संस्थाओं में गिना जाता है जो पूरी प्रतिबद्धता, स... Read more
डुगडुगी की गड़गड़ाहट हवा में बुलंद हुई तो बाजार की सड़क पर गुज़रते राहगीरों का ध्यान अनायस ही उस ओर खिंचता चला गया जहाँ से गड़गड़ाहट की आवाज आ रही थी. डुगडुगी की गड़गड़ाहट का स्रोत एक उम्र द... Read more
मैमूद: शैलेश मटियानी की कालजयी कहानी
महमूद फिर ज़ोर बाँधने लगा, तो जद्दन ने दायाँ कान ऐंठते हुए, उसका मुँह अपनी ओर घुमा लिया. ठीक थूथने पर थप्पड़ मारती हुई बोली, “बहुत मुल्ला दोपियाजा की-सी दाढ़ी क्या हिलाता है, स्साले! द... Read more
हल्द्वानी के गट्टू भाई का बाघ से सामना
नई-नई शादी के पंद्रह दिन बाद उस रात गट्टू भाई की अपनी बीवी से पहली लड़ाई हुई. बीवी का लिहाज करने के उद्देश्य से उन्होंने दोस्तों की संगत में नित्य की जाने वाली शराब पार्टियों पर संयमपूर्ण रो... Read more
अल्मोड़े के पास एक गांव में अल्पबुद्धि और दीर्घबुद्धि नाम के दो दोस्त हुआ करते थे. अल्पबुद्धि, नाई और दीर्घबुद्धि, पंडित थे. दोनों निहायत आलसी और खदवे. दोनों का घर पत्नियों की मेहनत से चलता.... Read more
चट्टान से गिरकर अकाल मृत्यु को प्राप्त पहाड़ी घसियारिनों को समर्पित लोकगाथा ‘देवा’
बहुत सुन्दर गाँव था. खूब गधेरा पानी. अपनी बंजाणी घना जंगल और थी उसी गाँव में एक सुन्दर निर्मल झरने की तरह लड़की देवा. सारे गाँव की बेटी. हमेशा उसके पास एक हँसी रहती थी. दुखी से दुखी उस हँसती... Read more