नदी, मुन्ना और वो काला पत्थर
नदी अब धीरे-धीरे उतर रही थी. बरसाती लहरों का उफान किनारों की नई सीमाएँ बना गया था. पानी उतरने के बाद उजली रेत में उभर आये काले-भूरे पत्थर जैसे रणभूमि में युद्धोपरांत क्षत-विक्षत हो बिखरे अंग... Read more
शान्ति बुआ की अन्तिम यात्रा
-चन्द्रकला सालों बाद शान्ति बुआ को ट्रेन में देखा तो मन के भीतर दुख का एहसास गहरा गया. उसके कमजोर शरीर को देखकर साफ समझ आ रहा था किसी गम्भीर बीमारी से ग्रसित है. लेकिन इतने के बाद भी बुआ के... Read more
पहाड़ की कहानी : हरिया हरफनमौला
दुकान वाले मोहन दा के हाथ से चाय का गिलास थामते हुए पद्मा दत्त लोहनी ने अपनी कुर्सी दूसरी ओर को सरका ली. अपनी आदत से मजबूर पास की कुर्सी में बैठा हरिया हँसते हुए बोल पड़ा –“गुरू जी इतनी भ... Read more
एक मरा हुआ मनुष्य इस समय जीवित मनुष्य की तुलना में ज़्यादा कह रहा है: मंगलेश डबराल की याद में
मैं जब भी यथार्थ का पीछा करता हूं देखता हूं वह भी मेरा पीछा कर रहा है मुझसे तेज़ भाग रहा है. उस रोज़ कौन जानता था कि वो नये सफ़र पर निकलने वाले थे. ये न घर का रास्ता था न कोई आवाज़ थी न कोई... Read more
पहाड़ी से उतरती एक कच्ची सड़क ने हमें फ़ेस्टिवल के वेन्यू पर लाकर छोड़ दिया. किसामा नाम के इस विरासती गाँव की रौनक़ देखने वाली थी. एक पहाड़ी पर बनी सीमेंटेंड पगडंडी के इर्द-गिर्द बांस से बनी... Read more
हर गांव में एक न एक मोहन दा जरूर होता है
मैंने मोहनदा को होश सँभालने के साथ-साथ देखा था. जैसे गाँव के अन्य दूसरे लोगों को देखा जाता है, पहचाना जाता है. बचपन में उनके प्रति मन में एक विचित्र भय-मिश्रित स्नेह रहा था. ऐसी भावना शायद औ... Read more
काली के बगड़ में ब्रूस ली की याद
केनिथ मेसॉन की किताब द अबोड ओफ़ स्नो में कुमायूँ के सबसे बड़े अन्वेषकों में से एक हरी राम के बारे में विस्तार से पढ़कर मेरा मन दशकों पीछे चला गया. बहुत कम लोगों को जानकारी है कि पंडित हरी रा... Read more
20 मई 1900 को उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक स्थान में जन्मे सुमित्रानंदन पन्त (Sumitra Nandan Pant) हिन्दी कविता में छायावाद के मजबूत स्तम्भ माने जाते हैं. उनकी प्रमुख कृतियों म... Read more
बीती 10 दिसम्बर 2020 को भारतीय संस्कृति में एक अहम मुकाम पैदा करने वाले नर्तक अस्तद देबू का देहांत हो गया. आधुनिक नृत्य के जनक मानेजानेवाले 13 जुलाई 1947 को जन्मे अस्ताद देबू ने अपनी बहुमुखी... Read more
जयंती, शिक्षा विभाग और चाय-नमकीन
अपने मुल्क में बड़े लोगों की जयंती मनाए जाने का चलन आम है. बहुत बड़े लोगों की पुण्यतिथि भी मनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि सामान्य जन इन आयोजनों से प्रेरणा लेकर उनके टाइप बनने का प्रयास कर... Read more