कुन्चा : रं (शौका) समुदाय की एक कथा
-प्रताप गर्ब्याल सूरज ने अपने सातों अश्वों को अस्तबल में बांध लिया है किन्तु उत्ताप अभी भी बरकरार है. सांझ ढ़लने के बाद भी वातावरण में बीथीं ऊष्मा कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है. चैत्र बैश... Read more
खेतों-बगीचों के बीच से गांव की तरफ जाने वाली पगडंडियों को चित्रकारों और कैमरामैनों की नजर से आपने खूब देखा होगा. हरियाली के बीच जगह बनाते हुए लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने वाले ये रास्ते म... Read more
तैमूर लंग की आपबीती
“मैं उल्लू की आवाज़ को अशुभ नहीं मानता, फिर भी इस आवाज़ से अतीत और भविष्य की यादों में खो जाता हूं. जब भी रात को उल्लू की आवाज़ सुनता हूं, लगता है दुनिया के अतीत का इतिहास मेरी आंखों क... Read more
मार्कण्डेय की कहानी ‘हंसा जाई अकेला’
वहाँ तक तो सब साथ थे, लेकिन अब कोई भी दो एक साथ नहीं रहा. दस-के-दसों अलग-अलग खेतों में अपनी पिण्डलियाँ खुजलाते, हाँफ रहे थे.(Hansa Jaye Akela Story) “समझाते-समझाते उमिर बीत गई, पर यह माटी का... Read more
पत्नी का पत्र
श्रीचरणकमलेषु, आज हमारे विवाह को पंद्रह वर्ष हो गए, लेकिन अभी तक मैंने कभी तुमको चिट्ठी न लिखी. सदा तुम्हारे पास ही बनी रही. न जाने कितनी बातें कहती सुनती रही, पर चिट्ठी लिखने लायक दूरी कभी... Read more
गढ़वाल हिमालय के नैसर्गिक स्थलों और जनजीवन को चित्रित करती पुस्तक ‘परियों के देश खैट पर्वत में’
किसी भी स्थान अथवा क्षेत्र विशेष के इतिहास, समाज, संस्कृति और वहां की सभ्यता से साक्षात्कार करने की दिशा में यायावरी की एक बड़ी भूमिका रहती है. यात्रा के दौरान एक संवेदनशील एवं जिम्मेदार घुम... Read more
बाघ का पंजा
इस मनुष्यभक्षी का कार्यकाल समाप्त हो गया था. जिन लोगों ने उसे मृत्यु तक पहुँचाया था, वे हीरो बन चुके थे. उन्हें फूलों की मालाएं पहनाई जा रही थीं और गाँव की सबसे ऊंची बैलगाड़ी पर शान-बान से ब... Read more
किराए का रावण
आज चिमनी और लालटेन ने गैस दादा (पेट्रोमैक्स) को घेर ही लिया. कहानी सुनाने के लिए पीछे पड़ गए. “कितनी कहानियां तो सुना दी है तुमको, अब और कहानियां कहां से लाऊं,” गैस दादा बोल पड़े... Read more
कई बार उन्हें केवल हंसाने वाला कवि मान लिया जाता रहा है पर शेरदा की कविता में गहरा जीवनदर्शन है. मिसाल के तौर पर उनकी एक मशहूर कृति ‘बुड़ी अकावौ प्रेम’ यानी ‘घोर बुढ़ापे की... Read more
कानून के दरवाजे पर : फ़्रेंज़ काफ़्का की कहानी
-अनुवाद : सुकेश साहनी कानून के द्वार पर रखवाला खड़ा है. उस देश का एक आम आदमी उसके पास आकर कानून के समक्ष पेश होने की इजाजत माँगता है. मगर वह उसे भीतर प्रवेश की इजाजत नहीं देता. (Story by Fra... Read more