चप्पलों के अच्छे दिन
लंबे अरसे से वह बेरोज़गारों के पाँव तले घिसती हुई जिन्स की इमेज ढोती रही. उसका हमवार जूता, हर राह, हर मंज़िल पर अपनी चमक-धमक के लिए नामवर हुआ. मगर अब लगता है चप्पल के दिन फिर गए हैं. जूते के... Read more
विश्व साहित्य के इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो कई कवि ऐसे हुए हैं जिन्होंने बहुत कम उम्र में ही अपने द्वारा रचित साहित्य से अपना ऊँचा मकाम बनाया है. बहुत कवियों ने मार्मिक प्रेमगीत लिखे हैं, विरह... Read more
व्यवस्था के चूहे से अन्न की मौत: हरिशंकर
इस देश में आदमी की सहनशीलता जबर्दस्त और तटस्थता भयावह है. पूरी व्यवस्था में मरे हुए चूहे की सड़ांध भरी हुई है. चूहे सरकार के ही हैं और मजे की बात यह है कि चूहेदानियां भी सरकार ने चूहों को पक... Read more
कश्मीरी सेब : मुंशी प्रेमचंद
कल शाम को चौक में दो-चार ज़रूरी चीज़ें ख़रीदने गया था. पंजाबी मेवाफ़रोशों की दूकानें रास्ते ही में पड़ती हैं. एक दूकान पर बहुत अच्छे रंगदार, गुलाबी सेब सजे हुए नज़र आये. जी ललचा उठा. आजकल शि... Read more
कुन्चा : रं (शौका) समुदाय की एक कथा
-प्रताप गर्ब्याल सूरज ने अपने सातों अश्वों को अस्तबल में बांध लिया है किन्तु उत्ताप अभी भी बरकरार है. सांझ ढ़लने के बाद भी वातावरण में बीथीं ऊष्मा कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है. चैत्र बैश... Read more
खेतों-बगीचों के बीच से गांव की तरफ जाने वाली पगडंडियों को चित्रकारों और कैमरामैनों की नजर से आपने खूब देखा होगा. हरियाली के बीच जगह बनाते हुए लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने वाले ये रास्ते म... Read more
तैमूर लंग की आपबीती
“मैं उल्लू की आवाज़ को अशुभ नहीं मानता, फिर भी इस आवाज़ से अतीत और भविष्य की यादों में खो जाता हूं. जब भी रात को उल्लू की आवाज़ सुनता हूं, लगता है दुनिया के अतीत का इतिहास मेरी आंखों क... Read more
मार्कण्डेय की कहानी ‘हंसा जाई अकेला’
वहाँ तक तो सब साथ थे, लेकिन अब कोई भी दो एक साथ नहीं रहा. दस-के-दसों अलग-अलग खेतों में अपनी पिण्डलियाँ खुजलाते, हाँफ रहे थे.(Hansa Jaye Akela Story) “समझाते-समझाते उमिर बीत गई, पर यह माटी का... Read more
पत्नी का पत्र
श्रीचरणकमलेषु, आज हमारे विवाह को पंद्रह वर्ष हो गए, लेकिन अभी तक मैंने कभी तुमको चिट्ठी न लिखी. सदा तुम्हारे पास ही बनी रही. न जाने कितनी बातें कहती सुनती रही, पर चिट्ठी लिखने लायक दूरी कभी... Read more
गढ़वाल हिमालय के नैसर्गिक स्थलों और जनजीवन को चित्रित करती पुस्तक ‘परियों के देश खैट पर्वत में’
किसी भी स्थान अथवा क्षेत्र विशेष के इतिहास, समाज, संस्कृति और वहां की सभ्यता से साक्षात्कार करने की दिशा में यायावरी की एक बड़ी भूमिका रहती है. यात्रा के दौरान एक संवेदनशील एवं जिम्मेदार घुम... Read more