सद्गति : हिंदी की श्रेष्ठ कहानियों में से एक
-प्रेमचंद दुखी चमार द्वार पर झाडू लगा रहा था और उसकी पत्नी झुरिया, घर को गोबर से लीप रही थी. दोनों अपने-अपने काम से फुर्सत पा चुके थे, तो चमारिन ने कहा, ‘तो जाके पंडित बाबा से कह आओ न. ऐसा न... Read more
कथाकार शेखर जोशी की कहानी ‘कोसी का घटवार’
शेखर जोशी का जन्म 10 सितंबर 1932 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलिया गांव में जन्म हुआ. अनेक सम्मानों से नवाजे जा चुके हिन्दी के शीर्षस्थ कहानीकारों में गिने जाने वाले शेखर जोशी के अनेक क... Read more
‘चिड़ी की दुक्की’ अजब है यह कहानी
नाम तो उनका अब्दुल हई था मगर दिलवालियाँ उन्हें प्यार से ‘हाय’ कहा करती थीं. वो थे भी सर से पाँव तक एक हसीन और दिलचस्प हाय. सोने की तरह दमकता रंग, सूरज की किरनों को शरमा देने वाले... Read more
औरत पहाड़ का नाम है
आंचलिक भाषा मेंमांगलिक गीत गाते हुएवे रोपती हैंज़िदगी की जड़ें पानी में रंग-बिरंगी पोशाकेंमाटी में सने हाथजैसेपिघले सोने में सने हाथ ज़मीन को दिन भर नमन करती कमरशाम को चूल्हे से होते हुएबिस्... Read more
जीवन का सत्य है अज्ञेय की कहानी ‘दुःख और तितलियाँ’
शेखर उस पहाड़ी से उतरता हुआ चला जा रहा था. उसके क़दम अपनी अभ्यस्त साधारण गति से पड़ रहे थे, वह किसी प्रकार की जल्दी नहीं कर रहा था क्योंकि यद्यपि वह अपने मन में उसे स्वीकार नहीं कर रहा था, त... Read more
एक दिन का मेहमान – कहानी
उसने अपना सूटकेस दरवाजे के आगे रख दिया. घंटी का बटन दबाया और प्रतीक्षा करने लगा. मकान चुप था. कोई हलचल नहीं – एक क्षण के लिए भ्रम हुआ कि घर में कोई नहीं है और वह खाली मकान के आगे खड़ा... Read more
हिमालय और उसके जन-जीवन की गहन पड़ताल है ‘दावानल’
अब ताला क्या लगाना!तो क्या कोठरी खुली ही छोड़ दे?असमंजस में वह बंद दरवाजे के सामने खड़ा रह गया. (पृष्ठ-9) ‘दावानल’ उपन्यास की उक्त शुरूआती लाइनों में व्यक्त लेखक नवीन जोशी का असमंजस व्यवहारि... Read more
शैलेश मटियानी की कहानी ‘कठफोड़वा’
पूरे दो वर्षों के अंतराल पर आज चंदन का तिलक माथे पर लगाया धरणीधरजी ने, तो लगा, किसी तपे तवे पर ठंडे पानी की एक बूंद लुढ़का दी है. थोड़ी देर तक उन्हें अपने माथे के इर्द-गिर्द ही नहीं, बल्कि भ... Read more
गिर्दा की कविता ‘मोरि कोसि हरै गे कोसि’
आज जनकवि गिरीश चन्द्र तिवारी ‘गिर्दा’ की पुण्यतिथि है. 22 अगस्त 2010 को अपने सभी प्रियजनों को अलविदा कहने वाले ‘गिर्दा’ एक जनकवि के साथ लोक के मयाले कवि हैं. उनकी यह... Read more
अनुपमा का प्रेम
ग्यारह वर्ष की आयु से ही अनुपमा उपन्यास पढ़-पढ़कर मष्तिष्क को एकदम बिगाड़ बैठी थी. वह समझती थी, मनुष्य के हृदय में जितना प्रेम, जितनी माधुरी, जितनी शोभा, जितना सौंदर्य, जितनी तृष्णा है, सब छ... Read more