भारत समेत पूरी दुनिया जब कोरोना महामारी के असीमित संकट से जूझ रही है और लॉक डाउन ने सारे कामकाज पर ताला लगा दिया है, ऐसे संकट काल में भी पहाड़ी महिलाओं के कदम निरंतर बढ़ रहे हैं. उत्तराखंड क... Read more
पहाड़ और चीटियों वाली बारात
रानीखेत में हाईस्कूल बोर्ड के इम्तहान के बाद मुझे चौखुटिया से मासी वाली रोड पर एक गांव ‘फाली‘ में अपनी छुट्टियां काटने के लिऐ भेज दिया था. ‘फाली‘ में मेरी मौसी रहती है. वहां दिन में कोई साथी... Read more
पूरे भारत में ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ का नारा बुलंद था देश की जनता के नेतृत्व में आज़ादी की अंतिम लड़ाई लड़ी जा रही रही. जब पूरा देश अंग्रेजों के खिलाफ़ लड़ रहा था तब टिहरी रियासत की जनत... Read more
नैनीताल में सवर्णों ने दलित ग्राम प्रधान की गाड़ी पंचर की और दलितों का सामान नहीं उतरने दिया
नैनीताल जिले के विकास खण्ड ओखलकांडा के ग्राम भुमका में अनुसूचित जाति के ग्राम प्रधान को सवर्णों द्वारा दलित उत्पीड़न की रपट वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. सवर्णों द्वारा ग्राम प्रधान... Read more
तिलाड़ी काण्ड की पृष्ठभूमि तैयार करने वाले जन आन्दोलनों का एक विस्तृत अध्ययन
1803 में गोरखाओं से पराजित होकर राज्य खो देने प्रद्युमन शाह की मृत्यु के बाद 1815 में अंग्रेजों की मदद से राजा सुदर्शन शाह ने गोरखा पर विजयी पाई. लेकिन राज्य का एक बड़ा हिस्सा जो अलकनंदा/गंग... Read more
धारचूला के तेनसिंह को सलाम जिसने भांडमजुवा बनने की बजाय खुद्दारी से जिया अपना जीवन
आज किसी भाई ने अपने फेसबुक पोस्ट में ‘भांडमजुवा’ शब्द का प्रयोग किया है. वही भांडमजुवे जो अपने गांवों से भागकर शहर-कस्बों में जाकर वहां के होटल-ढाबों में बर्तन मांजने का काम करते... Read more
काफल के समय काफल के नोस्टाल्जिया पर अक्सर बात होती ही है लेकिन इसी को सकारात्मक तरीके से देखें तो यह वह समय होता है जब बचपन की अनेक यादें दृश्य के रूप में अचानक धड़धड़ाते हुए आ जाती हैं. शायद... Read more
पहाड़ में हर आम-ओ-ख़ास के कवि हैं शेरदा
शेरदा अनपढ़, उत्तराखण्ड के एक ऐसे कवि जिसे काव्यकर्म के लिए किसी पढ़ाई-लिखाई की जरूरत न थी. फिर भी समाज और परिवेश को पढ़ने में वो नम्बर वन थे. लोग उनकी पढ़ाई-लिखाई पर सवाल उठाएँ इससे पहले ही... Read more
जो दिन अपैट बतूँछी, वी मैं हूँ पैट हौ.जकैं मैं सौरास बतूँछी, वी म्यर मैत हौमायाक मारगाँठ आज, आफी आफी खुजि पड़ौ.दुनियल तराण लगै दे, फिरि ले हाथ है मुचि पड़ौ.जनूँ कैं मैंल एकबट्या, उनूँल मैं न... Read more
अल्मोड़ा में कठपुड़िया प्राइमरी पाठशाला के रतन मासाब जिनका तबादला गाँव वाले हमेशा रुकवा देते थे
मैं उन दिनों प्राइमरी पाठशाला कठपुड़िया में पड़ता था. स्कूल गया तो सीधे कक्षा दो में बैठ गया क्योंकि घनदा कक्षा दो में पड़ता था, हमउम्र था और कक्षा की समझ भी नहीं थी. इसलिये साथ बैठने की... Read more