33% महिला आरक्षण की माँग करने वाली पहली महिला. अपनी ही सरकार के खिलाफ 15 दिनों तक आमरण अनशन करने वाली नेत्री. अपने क्षेत्र से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली पहली छात्रा. अपने क्षेत्र... Read more
अमला शंकर खामोशी से इस दुनिया से विदा हो गईं
अपने होने वाले पति यानी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के नर्तक उदयशंकर से हुई पहली मुलाक़ात को याद करते हुए अमला शंकर ने अपने संस्मरण ‘प्रेम का देवता’ में लिखा है:“जिन-जिन कारणों से विदेशी भूमि में... Read more
युवाओं को भारतीय सेना के लिए प्रशिक्षित करने वाले रिटायर्ड कैप्टन नारायण सिंह
गरूड़ से बागेश्वर को आते वक्त मित्र दीपक परिहार ने एक बार बताया कि वो गोमती नदी के पार जो मैदान है न वहां एक रिटायर्ड कैप्टन, बच्चों को फौज में भर्ती होने की नि:शुल्क ट्रैनिंग दे रहे हैं. बह... Read more
सावन के महीने देवता कैलाश में जुआ या अन्य बाजियां लगाते हैं : सीमांत की अनूठी मान्यता
सावन का महीना और आप यदि सीमांत के किसी गाँव मे जाते हैं तो हर घर में एक ही चीज आम होगी वो है, हर घर के दरवाजे और खिड़कियों में लगे काटें और बिच्छू घास की टहनियां. ये किसी भी नये व्यक्ति के... Read more
रूमानी नहीं रौद्र होता है पहाड़ों का सावन
भूगोल न सिर्फ़ खानपान, वेशभूषा, आवास को बल्कि साहित्य को भी प्रभावित करता है. खासकर गीतों को. सावन को ही ले लीजिए. भारत के मैदानी क्षेत्रों की बात करें तो सावन सर्वाधिक रूमानी महीना है... Read more
लकड़ी की पाटी, निंगाल की कलम और कमेट की स्याही : पहाड़ियों के बचपन की सुनहरी याद
करीब एक फीट चौड़ी तो डेढ़ फीट लम्बी और आधा इंच मोटाई की तख्ती. इसकी लकड़ी होती रीठा, पांगर, तुन, अखरोट, खड़िक, बितोड़, चीड़ या द्यार-देवदार की, जिनके सूखे गिंडों को आरे से काट बसूले से छील र... Read more
गुलाम भारत में ये दौर था वर्ष 1930 के अगस्त माह के दूसरे सप्ताह का. जब चंद्रशेखर “आजाद”, हजारीलाल, रामचंद्र, छैलबिहारी लाल, विश्वम्भरदयाल और दुगड्डा निवासी उनके साथी क्रांतिकारी... Read more
तारा दत्त भट्ट की पहाड़ी जड़ी-बूटियों से बनी पकौड़ियों के मुरीद अटल बिहारी वाजपेयी तक थे
नैनीताल जिले के अंतर्गत आने वाला एक गाँव है मल्ला रामगढ़. भवाली से लगभग यही कोई 14 किमी के आस पास की दूरी पर स्थित मल्ला रामगढ़ में सन 1966 में दुर्गा दत्त भट्ट ने किराने की दुकान खोली. बाद... Read more
देहरादून के घंटाघर का रोचक इतिहास
ऐसी तस्वीर जिसको देखते ही हर देखने वाले की जुबान पर इस जिले का नाम आ जाये तो वह तस्वीर यहां के घंटाघर की हो सकती है. देहरादून का घंटाघर इस शहर की पहचान है. जहां आज घंटाघर है वहां पहले पानी क... Read more
हरेला पर हो हल्ला नहीं, रोपें संस्कारों के बीज
जी रया, जाग रया, यो दिन यो मासन भेटनै रया … सिर पर हरेला (हरे तिनके) रखते हुए इन आशीर्वाद रूपी वचनों से हम खुद को धन्य समझते हैं. जिसका मतलब है, जीते रहो, जागते रहो और इस दिन से आपकी ह... Read more