पहाड़ की ठठ्वाणी और चौलाई के लड्डू को संयुक्त राष्ट्र ने एफएओ की माउंटेन रेसिपी बुक में शामिल किया
ठठ्वाणी और चौलाई के लड्डू का स्वाद तो उत्तराखंड के लोग खूब जानते हैं लेकिन अब इसे पूरा विश्व जानेगा. पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र संघ के विश्व कृषि संगठन और माउंटेन पार्टनरशिप द्वारा एक रेसिप... Read more
लोक में रचे बसे रंग और पहाड़ की कलाकारी
पहाड़ में अपनी भावनाओं को रेखाओं, आकृतियों का रूप दे उनमें रंग भर जीवंत कर देना हर घर-आँगन, देली-गोठ और देबता की ठया में दिखाई देता. इसमें हाथ का सीप होता. कुछ नियम कायदों के संग सीधी सादी म... Read more
जोजोड़ा : जौनसार-बावर की अनूठी विवाह प्रणाली
मेरी पैदाइश और परवरिश कई छोटे कस्बों एवं नगरों में हुई है, इसके बावजूद मेरा अपने पैतृक स्थान से अलग ही लगाव रहा है. मेरा ये विश्वास रहा है कि – आप चाहे कहीं भी रहें, कोई भी काम-काज करे... Read more
मैदान में रहकर पहाड़ के लिये वॉव, ब्यूटीफूल, अमेजिंग, सुंदर, अद्वितीय, अद्भुत के सिवाय और किसी शब्द नहीं निकलते लेकिन इन पहाड़ों में रहने वाला आदमी ही जानता है माचिस की डिब्बी हो या नमक की पुड़... Read more
रामगढ़ की आयरन लेडी कमला नेगी
रामगढ़ ब्लॉक के ओड़ाखान गांव निवासी कमला नेगी को लोग “टायर डॉक्टर” के नाम से भी जानते हैं. जाने भी क्यों न भला, कमला 54 वर्ष की उम्र में भी बड़ी आसानी से छोटे बड़े वाहनों सहित जे... Read more
ढांटा ब्या उत्तराखण्ड के खशों में प्रचलित तथा सामाजिक मान्यता प्राप्त निरनुष्ठानिक विवाह का एक प्रकार था. इसमें कोई सधवा (परिव्यक्ता या अपरित्यक्ता) अपने पूर्व पति को अथवा विधवा स्त्री मृत प... Read more
यूं तो कुमाऊँ में ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रवेश 8 मई 1815 को कुमाऊँ के कमिश्नर आफ रेवन्यू के रूप में ई.गार्डिनर की नियुक्ति के साथ हो गया था लेकिन कंपनी ने कुमाऊँ-गढ़वाल के नियंत्रण का मुख्याल... Read more
पहाड़ से सावन की पूर्णिमा के चांद की तस्वीरें
पहाड़ में पूर्णिमा का खूब महत्त्व है फिर इसे धर्म की आस्था से जोड़कर देखा जाय या लोकजीवन से. चांद की रौशनी कुमाऊनी में ज्यून कहलाती है और चांदनी रात ज्यूनाली रात. ढ़ेरों लोकगीत हैं जिसमें ज्... Read more
पिथौरागढ़ नगर के पूरब में एक सुंदर सा गाँव है द्यौत जिसे देवत भी कहते हैं. गांव वाले जहां से पानी हैं उसे पनेर कहते हैं. मीठे पानी के इस स्त्रोत से एक सुंदर लोककथा जुड़ी है.(Folk Stories of... Read more
च्यूरे का पेड़ आज भी शिवजी के वरदान को निभा रहा है
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree गरीब तो बहुत होते हैं पर वह निहंग किस्म का गरीब किसान निपट्ट दरिद्र. क्या करता कम कम खेत भी पानी जानवर की कमी से बंजर बने थ... Read more