डॉक्टर बनने का सपना देखने वाला पहाड़ी बच्चा दुनिया का प्रख्यात भू-वैज्ञानिक बन गया: प्रो. खड्ग सिंह वल्दिया को श्रद्धांजलि
आज ही के दिन हिमालय पुत्र प्रो. खड्ग सिंह वल्दिया का जन्म बर्मा के कलौ नगर में हुआ था और आज ही के दिन बैंगलोर शहर में उनकी मृत्यु हो गयी. भले आधिकारिक कागजों में उनका जन्मदिन 20 मार्च हो पर... Read more
उत्तराखंड के लोक में अमर प्रेम गाथाएं
उत्तराखण्ड के इतिहास में यदि हम समाज को देखना शुरू करते हैं तो पाते हैं कि वर्तमान भेदभाव पूर्ण नितियां या वर्तमान जाति व्यवस्था का आंकड़ा यही कोई 4-5 सौ सालों पहले फिट बैठाया गया होगा. वीर... Read more
जिक्र भवाली चौराहे का आता है, तो कई यादें दिलो-दिमाग पर तैरने लगती हैं. भवाली का इतिहास, आजादी के पूर्व स्वतंत्रता संग्राम में इसकी भूमिका, स्वातंत्रोत्तर भारत में इसके विकास की दशा एवं दिशा... Read more
मैं जब दुगड्डे में पढ़ता था तो मेरी आयु करीब 14 वर्ष की थी. हमारा परिवार अपने क्षेत्र में समृद्ध तथा प्रतिष्ठित परिवार था. पिताजी दो भाई थे. उम समय हमारे ताऊजी के चार पुत्र दो पुत्रियां थीं.... Read more
बद्रीनाथ की 125 साल पुरानी तस्वीर
यह तस्वीर बद्रीनाथ की है. जिसे जर्मन फोटोग्राफर कर्ट बोएक ने 1892 की अपनी भारत यात्रा के दौरान खींचा था. बोएक ने इस तस्वीर को अपनी किताब में शामिल किया जो साल 1894 में प्रकाशित हुई. (Old Pho... Read more
आईपीएल में अपनी टीम बनाकर उत्तराखंड के दर्शन सिंह बिष्ट ने जीते 1 करोड़ रुपये
आईपीएल ने पिछले कई सालों में भारतीय युवाओं की जिन्दगी बदली है. आज तक आईपीएल ने जिन लोगों की जिन्दगी बदली है उनमें अधिकांश खिलाड़ी ही रहे हैं लेकिन इस बार आईपीएल ने शुरुआत में ही उत्तराखंड के... Read more
ये उस शख्स के दृण संकल्प का नतीजा है जिसने अपनी आंखों की रौशनी तो खो दी मगर समाज में अलख जगाने के काम करते हुए अपनी अलग पहचान बनाई है. (Girish Thuwal Social Worker) किसी ने सही कहा है कि जहा... Read more
पहाड़ी महिलाएं पलायन के लिये कितनी जिम्मेदार
पलायन पहाड़ी गावों की संभवतया सबसे बड़ी समस्या के रूप में सामने है. इसके कारणों पर बड़े-बड़े विशेषज्ञ अपनी बात कहते हैं और समाधान के लिए बड़े भारी भरकम आयोग स्थापित हो गए हैं, लेकिन फिलहाल इ... Read more
1945 के नैनीताल की स्मृतियां
मेरा बाल्यकाल अल्मोड़ा में बीता. पिताजी अल्मोड़ा में रहते थे. हमारी दुनिया अल्मोड़े तक ही सीमित थी. कुमाऊवासियों के लिए अल्मोड़े में सभी प्रकार की सुविधाएं प्राप्त थीं. निकटस्थ एवं दूरस्थ गा... Read more
मडुवे की गुड़ाई के बीच वो गीत जिसने सबको रुला दिया
चौमास (बरसात) में बारिश से जरा सी राहत मिली कि सारे गांव के लोग कोदा-झंगोरा गोड़ने खेतों की ओर चल पड़ते. मर्द बैल जोत कर कोदे में ददंला लगाते और छुट्टी पायी. बाकी काम महिलाओं के हिस्से. खरपत... Read more