चुकिले दाड़िम का चूक
दाड़िम का पेड़ पहाड़ के सभी घरों में सामान्य रुप से देखा जा सकता है. दाड़िम का पेड़ यहां के लोक में कितना घुला मिला है उसे लोकगीतों से बखूबी समझा जा सकता है.(Dadim ka Chook) पेट चुकिलो चुक द... Read more
रामेश्वर मंदिर: सरयू और रामगंगा का संगम स्थल जहां भगवान राम ने शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा ली
सरयू और रामगंगा का संगम सोर घाटी और इससे लगे गावों के लिये सदियों से पवित्र रहा है. लोक में मान्यता है कि देव डंगरी को शरीर में देवता के अवतरण से पहले सरयू-रामगंगा के संगम में एकबार स्नान जर... Read more
रामलीला का मंचन पहाड़ में खूब होता है. पूरा दिन पहाड़ में हाड़ तोड़ने के बाद रात की हल्की ठंड में होने वाली ये रामलीलायें दिन भर की थकान को मिटाने का काम करती हैं. इन रामलीलाओं में दर्शकों क... Read more
इस बात पर कोई शक नहीं की इस देश के सबसे काबिल अर्थशास्त्रियों में एक नाम पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का है. देश की आम जनता के अलावा भारतीय राजनेता भी पार्टी लाइन से हटकर भी डॉ. मनमोहन... Read more
कुछ यों होती थी हमारे बचपन की रामलीला
वो भी क्या दिन थे? कोई 12-13 बरस की उमर रही होगी. रामलीला हमारे गांव से 5 मील दूर भवाली में हुआ करती. भवाली की रामलीला की क्षेत्र में अपनी अलग पहचान थी. रोज- रोज तो नहीं पूरी रामलीला के दरम्... Read more
उत्तराखंड के चमोली जिले में नीति घाटी में बसा एक गांव है द्रोणगिरी. द्रोणगिरी चमोली की जोशीमठ तहसील में आता है. इस गांव के लोग साल में केवल छः महीने ही यहां रहते हैं बाकी छः महीने कम ऊंचाई व... Read more
डॉ. शेर सिंह पांगती: पुण्यतिथि विशेष
किसी भी अनजान क्षेत्र में जब आप घूमने जाते हैं तो पहले पहल लोग आपसे घुलते मिलते नहीं. ऐसे ही जोहार क्षेत्र में जब भी हम ट्रेकिंग पर जाते तो लोग शुरू में हमसे एक उचित दूरी बना कर बात करते. पर... Read more
कूर्मांचल में काली कुमाऊँ लोहाघाट से हल्द्वानी जाने वाले सड़क मार्ग पर पेंतालिस किलो मीटर की दूरी पर पौराणिक धार्मिक व आध्यात्मिक आस्था का केंद्र है देवी धूरा. अल्मोड़ा से लमगडा और सहरफाटक ह... Read more
क्या आपने कभी सोचा कि क्यों महीनों की संख्या 12 और राशियां भी 12 ही हैं! और हम अक्सर जिन संक्रांति यों का नाम सुनते हैं जैसे कर्क संक्रांति मकर संक्रांति और विषुवत संक्रांति, तो ये संक्रांति... Read more
सर्दियों में दुनिया भर में अलग अलग जगह के लोगों के अलग-अलग शगल हुये हैं. गुनगुनी धूप सेकना इनमें सबसे लोकप्रिय और आम हुआ. उत्तराखंड जैसे ठंडे प्रदेशों में धूप सेकना अपने आप में एक काम है और... Read more