स्वाधीनता संग्राम में गढ़वाल का चंपारण ककोड़ाखाल: कुली बेगार विरोधी आंदोलन के सौ साल
1857 की क्रांति में गढ़वाल भू-भाग में पूरी तरह शांति रही. इतनी कि तत्कालीन कमिश्नर रैमजे को गढ़वाल भ्रमण पर होने के बावजूद नैनीताल पहुँचना ही श्रेयस्कर लगा. उसी गढ़वाल में अंग्रे राज्य के वि... Read more
घाम-पानी की युवा टीम से एक्सक्लूसिव बातचीत
पिछले दिनों चांदनी एंटरप्राइजेज के यूट्यूब चैनल पर घाम-पानी गीत रिलीज हुआ. गीत का वीडियो और संगीत खूब सराहा जा रहा है यूट्यूब पर 60 हज़ार से ज्यादा लोग गीत को देख चुके हैं. गीत में अपनी तरह... Read more
काली कुमाऊं के वीर भ्यूंराज की मार्मिक कथा
घटना कुमाऊं के अंतिम चंद राजा मोहन चंद के काल (सन् 1777 से 1788 ई.) की है. इस समय कुमाऊं पूर्णतया जर्जर और छिन्न-भिन्न हो चुका था. इस अन्तिम राजा बनने की लालसा वाले शासक ने कुमाऊं के बिछिन्न... Read more
एक सरकारी स्कूल की सच्ची कहानी जिसकी दीवारों पर बच्चों ने अपने सपने रंगे हैं
एक स्कूल हो ऐसा जिसका हर कोना इतना सुंदर हो कि उससे बाहर जाने का मन ही न हो. ये सपना हर अभिभावक का होता है. इसके लिए वो अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा लगाने के लिए भी तैयार रहता है. फिर भी ऐसे स्क... Read more
घाम पानी: बिना कमला-बिमला के एक कुमाऊनी प्रेम गीत
चांदनी एंटरप्राइजेज के यूट्यूब चैनल पर मुनस्यारी के लवराज टोलिया का लिखा घाम-पानी गाना रिलीज हो चुका है. घाम-पानी एक प्रेम गीत है. जिसमें एक छोटी सी पर पहाड़ में अक्सर घटने वाली एक प्रे... Read more
1780 का साल रहा होगा. गढ़वाल और कुमाऊं दोनों जगह राजगद्दी को लेकर आंतरिक संघर्ष जारी था. कुमाऊं में ललितशाह अपनी दुसरी पत्नी के बड़े बेटे प्रदुम्नशाह को शासक नियुक्त कर चुके थे. ललितशाह की म... Read more
उत्तराखंड के अतीत, वर्तमान से जुड़ी गौरव गाथाएं उत्तराखण्ड की नई पीढ़ी तक पहुंचाना बहुत जरुरी है. उन्हें उनके पूर्वजों द्वारा मातृभूमि की खातिर दी गयी बेमिसाल कुर्बानियों से परिचित कराना अत्... Read more
प्रताप भैया यदि हमारे बीच होते तो 88 वर्ष आज के दिन पूरे करते. दस वर्ष पूर्व संसार से विदा हुए प्रताप भैया ने 78 बसन्त जिस जिन्दादिली, उत्साह एवं ऊर्जावान ढंग से बिताये, वह हर युवा के लिए ईष... Read more
डोटी की राजकुमारी रुद्रचंद की मां ने तोहफे में अपने भाई से सीरा मांगा, लेकिन भाई ने उसे देने से इनकार कर दिया. रुद्रचंद के पिता की मृत्यु हो जाने पर भी उसकी मां सती नहीं हुई. उसने कहा ‘जब मे... Read more
सिद्धों व सन्तों की तपोभूमि भी रहा भवाली क्षेत्र
भवाली, कुमाऊं क्षेत्र का प्रवेश द्वार होने के कारण देश के दूरदराज के क्षेत्रों से आने वाले परिब्राजक बद्रीनाथ, केदारनाथ आदि क्षेत्रों के तीर्थाटन को जब यहां से गुजरे तो इसके आस-पास का नयनाभि... Read more