उत्तराखंड मूल के कैप्टन राम सिंह ने कम्पोज़ किया था आजाद हिन्द फ़ौज का कौमी तराना
आज़ादी से पहले भारत का राष्ट्रगान आजाद हिन्द फ़ौज का कौमी तराना था. 2 नवंबर 1941 को आजाद हिन्द की टीम ने औपचारिक रूप से रविन्द्र नाथ टैगोर के जन-गण-मन को राष्ट्रगान मान लिया था. बोस ने बर्लिन... Read more
वाह रे! तू भी क्या किस्मत लेकर आया इस दुनियां में. पथरीले पत्थरों के बीच से तेरा ये दीदार बहुत कुछ कह जाता है, पहाड़ की इस पहाड़ सी जिन्दगी और अपने वजूद की जुत्सजू की दास्तां. पत्थरों से भी... Read more
दांत दर्द का ठेठ पहाड़ी ईलाज
पहाड़ों में जीवन अत्यंत कठिन है. इस कठिन जीवन को और अधिक कठिन बनाती है स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी. आज के वैज्ञानिक युग में हर रोग की दवा है हर रोग का इलाज है लेकिन जब विज्ञान न था... Read more
मध्यकाल में अपनी खनिज संपदा के लिए प्रसिद्ध कुमाऊं राज्य के तराई व भाबर क्षेत्र अत्यधिक ऊपजाऊ होने के कारण प्रचुर मात्रा में राजस्व प्रदान करते थे. मध्यकाल में मुस्लिम शासक यह समझते थे कि कु... Read more
ऐसा कुछ कर जाएं यादों में बस जाएंऐसा कुछ कर जाएं यादों में खो जाएंयारा दिलदारा मेरा दिल कर दा दिल कर दा(Collage Memoir by Prbhat Upreti) बचपन से ही मेरे अंदर अशोक की तरह वीरता क्रूरता और दया... Read more
इस साल मकर संक्रांति के दिन कौवे रूठे नज़र आये
मकर संक्रांति, कुमाऊँ हिमालय में मूलतः कौवों की अवाभागत का त्यौहार है. यहाँ यह दिवस ‘काले-कौवा’ त्यौहार के रूप में मनाया जाता है. पहाड़ों में हाउस क्रो, जिसे ग्रे-नेक्ड क्रो भी कहा जाता है,... Read more
जहां जहां शिव आराध्य हैं वहां भैरव स्वयं ही आराध्य बन जाते हैं. बिना भैरव के दर्शन के भगवान शिव के दर्शन अधूरे हैं फिर वह काशी के विश्वनाथ हों या उज्जैन के महाकाल. आसितांग भैरव.(Kedarnath Bh... Read more
20 साल बाद भी सुविधाओं से वंचित हैं पहाड़ी गाँव
बेहतर सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोज़गार एवं आजीविका की अपेक्षाओं के साथ उत्तरप्रदेश से पृथक हुए राज्य उत्तराखंड आज भी इन मूलभूत आवश्यकताओं के लिए तरस रहा है. राज्य स्थापना के 20 वर्ष बाद... Read more
आज मकर संक्रांति के दिन जागेश्वर धाम में ज्योतिर्लिंग को घी से ढकने के परम्परा पूरी की गयी. प्रत्येक वर्ष माघ माह की पहली गते को गाय के घी को पानी में उबालकर इससे ज्योतिर्लिंग को ढक दिया जात... Read more
आज के दिन सौ साल पहले बागेश्वर की फ़िजा गर्म थी
सौ बरस पहले 14 जनवरी की सुबह बागेश्वर की फ़िजा में अलग गर्मी थी. आज सरयू कल-कल के बजाय दम्मू की दम-दम करती ज्यादा लग रही थी. बागेश्वर में आज कौवे तो बुलाने ही थे पर साथ में उड़ाने थे ब्रितान... Read more