ताकुला की आमा का होटल और पहाड़ियों की बस यात्रा
शहरों से पहाड़ को लौटने पर हल्द्वानी से ही एक अलग उर्जा का संचार होने लगता है. लम्बे सफ़र की थकावट के बाद जब काठगोदाम पहुंचते हैं तो लगता है जैसे अपने घर की देली में पहुंच गये हों और अब बस भ... Read more
श्रीनगर (गढ़वाल) से जब आप चल रहे होंगे तो खिर्सू आने से पहले खिर्सू बैंड आपकी ओर मुखातिब होकर मन ही मन कहेगा कि थोड़ा रुक जाइए, जल्दी क्या है? खिर्सू तो आप पहुंच ही गए हैं. बस, एक लतड़ाग साम... Read more
नैनीताल अपने शुरुआती दिनों से ही अंग्रेजों की पंसदीदा जगहों में से एक रही है. नैनीताल को लेकर यहां रहने वाले अंग्रेजों ने अलग अलग समय में खूब लिखा भी है. अंग्रेजों के इन लेखों से पता चलता है... Read more
आज से बारह सौ साल पहले बग़दाद में जन्मे कवि इब्न अल-रूमी अपनी एक कविता में सफ़ेद आटे के गाढ़े घोल को चांदी की उपमा देते हैं जिसे गोल-गोल पका कर शहद में डुबोया जाय तो वह सोने में तब्दील हो जा... Read more
भारत के सबसे बड़े ठंडे रेगिस्तानों वाले भूभाग में से एक “चांगथांग” (चांग= पूर्वी, थांग= मैदान) नए नवेले केंद्रशासित राज्य लद्दाख़ में पारिस्थितिकी, पर्यटन एवं सुरक्षा के नज़रिये... Read more
केदारनाथ मंदिर की दुर्लभ तस्वीरें
रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मन्दिर भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में एक है. हिमालय की गोद में बसा केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिंग में एक है. कत्यूरी शैली में पत्थरों से बने केदारनाथ के व... Read more
भटिया: पहाड़ में पुरखों की ताकत का असल राज
पहाड़ के भोजन की सबसे बड़ी विशेषता उसकी सरलता है. गरीबी और पहाड़ एक दूसरे के पूरक रहे हैं. एक लम्बे समय तक पहाड़ के लोगों के पास खाने को बस वही था जो हाड़-तोड़ मेहनत के बाद सीढ़ीदार खेतों की... Read more
सनगाड़ के ‘नौलिंग देवता’ से जुड़ी लोककथा
बहुत पुरानी बात है बागेश्वर के फरसाली गांव में एक नरभक्षी राक्षस उत्पन्न हो गया. राक्षस ने गांव उजाड़ दिया और वहां के लोगों को खा गया. अब जब गांव में एक ही आदमी बचा तो वह उसे खाने को दौड़ा.... Read more
उत्तराखंड सरकार द्वारा राज्य की राजधानी देहरादून में पांचवे धाम के रूप में सैन्यधाम का निर्माण किया जा रहा है. सैन्यधाम के लिए उत्तराखंड के शहीदों के घर से मिट्टी लाई जा रही है. पिथौरागढ़ ज... Read more
पहाड़ में कौतिक की बेमिसाल यादें
कौतिक का मतलब होता है मेला. मेले तो हर जगह लगते हैं और हर मेले का अपना सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और व्यापारिक महत्व रहा है. कुमाऊं गढ़वाल के कई मेले प्रसिद्ध हैं. इन मेलों पर शिरकत करके पहाड़ के... Read more