देश में कोरोना के नए रूप ओमीक्रोन के बढ़ते आंकड़ों ने फिर से सभी के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. इस नए स्वरूप के खतरे को रोकने के लिए केंद्र से लेकर सभी राज्य सरकारों ने एहतियाती कदम... Read more
पहाड़ों में पलायन का मनोवैज्ञानिक पहलू
पहाड़ों के दर्द की एक पुरानी कहावत है “पहाड़ों की जवानी, मिट्टी औऱ पानी कभी पहाड़ों के काम नहीं आती”. आज भी उत्तराखंड की यही दशा औऱ दिशा बरकरार है. उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों... Read more
पक्की सड़क से जुड़ चुका गांव अब गांव सा नहीं रहा
अब गांव, गांव सा नहीं रहा, गांव पक्की सड़क से जुड़ चुका है अंग्रेजी स्कूल खुल चुके हैं अब बच्चे नमस्कार प्रणाम भूल कर गुड मॉर्निंग कहने लगे हैं. खाना (ब्रेकफ़ास्ट -लंच-डिनर) में बदल चुका है.... Read more
छलिया नृत्य और उत्तराखंड एक दूसरे के पूरक बन चुके हैं. छलिया नृत्य जिसे हिन्दी में छोलिया नृत्य कहा जाता है उत्तराखंड का पारम्परिक नृत्य है. दो एक दशक पूर्व उत्तराखंड के समाज में होने वाली श... Read more
विपरीत परिस्थितियों में भी उत्तराखण्ड की कई महिलाओं ने राष्ट्रीय पटल पर सशक्त हस्ताक्षर किये हैं. इनमें से एक हैं चंद्रप्रभा ऐतवाल. चंद्रप्रभा 24 दिसंबर 1941 को उत्तराखण्ड के सीमान्त जिले के... Read more
आज पहाड़ के गांधी का जन्मदिन है
इन्द्रमणि बडोनी का जन्म टिहरी गढ़वाल जिले के अखोड़ी गांव (घनसाली) में 24 दिसम्बर 1924 को हुआ था. उनके पिताजी का नाम सुरेशानंद बडोनी और माँ का नाम कालू देवी था. यह एक बहुत ही गरीब परिवार था.... Read more
उत्तराखण्ड की बहुपति विवाह प्रथा
उत्तराखण्ड के पश्चिमी टिहरी और जौनसार बावर क्षेत्र में कभी बहुपति प्रथा खासे चलन में थी. इस प्रथा में सबसे बड़े भाई का विवाह होने पर उसकी पत्नी समान अधिकार के साथ सभी छोटे भाइयों की भी पत्नी... Read more
परम पूज्य श्री नारायण स्वामी जी ने उत्तराखण्ड के सीमान्त क्षेत्र के सर्वांगीण उत्थान का बीड़ा तब उठाया था जब भारत माता परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ी कराह रही थी. सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ तब... Read more
देश के इतिहास में पहली बार एक हज़ार से अधिक लड़कियों ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी यानि एनडीए की परीक्षा पास कर अपने जज़्बे और हुनर को साबित कर दिया है. उन्होंने यह संदेश भी दे दिया कि यदि अवसर... Read more
पिथौरागढ़ नगर से जुड़े कुछ रोचक पहलू
पिथौरागढ़ का मुख्य बाजार पुराना बाजार था जो शिवालय मंदिर से प्रारंभ होकर नेहरु चौक तक की सीढियों तक था. इसमें मुख्य रूप से पपदेऊ और पितरौटा के स्वर्णकारों की दुकान, शाह एवं खत्रीयों की मिठाई... Read more