विरासत है ‘खन्तोली गांव’ की समृद्ध होली परम्परा
मुझे पहला मंच मेंरे गांव खन्तोली की होली में मिला. गांव के लोगों के प्रोत्साहन और शाबासी ने ही कुछ लिखने की प्रेरणा दी. मेंरे गुरु वास्तव में मेंरे गांव के लोग हैं, गाँव की होली है. क्या शान... Read more
‘गरमपानी का रायता’ भुलाये नहीं भूलता जिसका स्वाद
कुमाऊं के गांव से जुड़े पहाड़ी को भले अपनी उमर ठीक से याद हो या न हो पर उनको गरमपानी का रायता जरुर याद रहता है. पहाड़ों से दशकों पहले बाहर चली गयी बहु बेटियों के मुंह में आज भी गरमपानी के रा... Read more
दुनिया में सबसे पहले धान खेती किसने की इस सवाल के हज़ारों जवाब मिलते हैं. इतिहास, विज्ञान, लोकमान्यताओं का ढेर है जो बताता है कि दुनिया में सबसे पहले किसने धान की खेती की. विज्ञान के पास अपन... Read more
‘उस्ताद अमानत हुसैन’ कुमाऊनी शास्त्रीय होली के जनक
इस बात में कोई दोराय नहीं है कि कुमाऊं क्षेत्र में का आगमन मथुरा के आस-पास के इलाकों से हुआ है. कुमाऊं में गाई जाने वाली होलियों बृज और खड़ीबोली का स्पष्ट प्रभाव देखा जाता है. कुमाऊनी में गा... Read more
‘अभागी पत्नी’ कुमाऊनी लोककथा
एक गांव में एक व्यापारी अपनी दो पत्नियों के साथ रहता था. दोनों पत्नियाँ आपस में खूब झगड़ा करती थी क्योंकि आदमी अपनी दूसरी पत्नी को ज्यादा प्यार करता तो हमेशा उसी का साथ देता. एकबार व्यापारी... Read more
शंखनाद से कम आध्यात्मिक नहीं हिमालयी मवेशियों के गले में बंधी तिब्बती घंटियों के सुर
हिमालयी चरवाहों के मवेशियों के गले में बंधी तिब्बती घंटियाँ और उनकी ध्वनि भी इन चरवाहों के जीवन की तरह ही गतिमान होती है. इन तिब्बती घंटियों की ध्वनि काफी तेज होने के बावजूद कानों को मधुर लग... Read more
एक बार भादौ के महीने में गौरी कैलाश से अपने मायके के लिये निकलती हैं और रास्ता भटक जाती हैं. रास्ता भटकने पर वह अलग पेड़ों से अपना मायका पूछती हैं और रास्ता बताने पर उन्हें आशीर्वचन देकर आगे... Read more
कहते हैं शिवरात्रि के बाद कुमाऊं की होली में यौवन का रंग भरने लगता है. शिवरात्रि के दिन से ही करीब दो महीने से चली आ रही बैठकी होली में रंग भी पड़ता है. निर्वाण, श्रृंगार से होती हुई होली अब... Read more
कुमाऊं का सबसे समृद्ध कौतिक था ‘ठुल थल’
कुमाऊं में लगने वाले मेलों में थल का मेला सबसे महत्वपूर्ण मेलों में शामिल रहा है जो धार्मिक और व्यापारिक महत्वपूर्ण रहा है. कभी महीने महीने लगने वाला यह मेला अब केवल एक दिन तक सिमट कर रह गया... Read more
बुढ़िया के घर में नौसिखिया लड़का- लोककथा
एक बार एक बुढ़िया ने जातर ठीक करने के लिये कुंवर सिंह नाम के व्यक्ति को बुलावा भेजा. कुंवर सिंह इलाके भर में गेहूं, चावल, मडुवा, मक्का पीसने के लिए हाथ से चलाई जाने वाली पत्थर की चक्की, जिसे... Read more