पीरान कलियर का उत्तराखण्ड में राजनीतिक महत्त्व
प्रसिद्ध पीरान कलियर शरीफ 13 वीं शताब्दी के चिश्ती आदेश के सूफी संत साबिर कलियर की दरगाह है. यह हरिद्वार जनपद में रुड़की के निकट गंगा के तट पर स्थित मुसलमानों का पवित्र धार्मिक स्थल है. अलाउ... Read more
जिला पिथौरागढ़ में एक गाँव होता था लाचुली. पूरा पता – ग्राम लाचुली, पोस्ट देकुना, तेजम, जिला- पिथौरागढ़. ‘था’ इसलिए कह रहा हूँ कि सरकारी फाइलों में बाकायदा बने रहने के बावजूद आज इस गाँव में एक... Read more
उत्तराखण्ड का इतिहास भाग- 3
आद्यऐतिहासिक काल- ऐतिहासिक काल से पूर्व चतुर्थ-तृतीय सहस्त्राब्दी पूर्व तक आद्यऐतिहासिक काल माना जाता है. उत्तराखण्ड में इस काल के प्रमुख स्त्रोत धार्मिक ग्रन्थ होने के कारण इसे पौराणिक काल... Read more
विनोद कापड़ी का इंटरव्यू
पिछले दिनों हमने विनोद कापड़ी के विषय में लिखा था. 2016 के अंत में हल्द्वानी फिल्म फेस्टिवल के दौरान विनोद कापड़ी की फिल्म ‘मिस. टनकपुर हाजिर हो ‘और ‘कांट टेक दिस शिट एनीमो... Read more
गुप्त वंश तथा कुमाऊं भाग-3
तोरमाणः- सन् पांच सौ ई. के लगभग हूण सरदार तोरमाण ने मालवा तक अपना शासन स्थापित किया और महाराजाधिराज की पदवी धारण की. तोरमाण के पुत्र मिहिरकुल की राजधानी शाकल सम्भवतः सहारनपुर देहरादून की सीम... Read more
गुप्त वंश तथा कुमाऊं भाग-2
कर्तृपुर(कत्यूर):- समुद्रगुप्त के इलाहाबाद के अशोक स्तम्भ पर खुदी हुयी हरिषेण की प्रषस्ति में पराजित राजाओं में कर्तपुर का नाम नेपाल के बाद लिया गया है. इसलिये इतिहासकारों ने इसे कार्तिकेयपु... Read more
अंग्रेजी शासन के ताबूत पर आखिरी कील
1857 के बाद फरवरी 1946 पहला मौका था जब भारतीय सेना ने ब्रिटिश शासन के विरुध्द खुलकर अपना रोष और असंतोष व्यक्त किया. इतिहास में यह विद्रोह भारतीय नौसेना विद्रोह नाम से दर्ज है. उत्तराखण्ड से... Read more
2014 में डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट द्वारा लिखा गया यह लेख उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन का जीवंत दस्तावेज है. बीस वर्ष कहते ही 1994 का उत्तराखंड आँखों के सामने घूमने लगता है.वह उत्तराखंड के जीवन का एक... Read more
गुप्त वंश तथा कुमाऊं भाग-1
कुषाण शासन के विघटन के उपरान्त उत्तर भारत में जिन राजाओं ने अपने छोटे-छोटे स्वतंत्र राज्य स्थापित किए उनमे से एक का नाम घटोत्कच गुप्त था. गुप्त वंश का संस्थापक इन्हीं को माना जता है. कुछ इति... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने 15
1930 तक हल्द्वानी अपनी छोटी सी बसासत के साथ विभिन्न क्षेत्रों से आकार बस गए लोगों का केंद्र बन गया था. पहाड़ और मैदानी मूल के संगम इस शहर में हर त्यौहार बहुत तबियत से मनाया करता था. इस दौर मे... Read more