हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 27
गौला पार में कालीचौड़ का मंदिर भी पुरातत्विक महत्त्व का है किन्तु इस सम्बन्ध में अभी तक खोज नहीं की जा सकी है. कहा जाता है कि बिजेपुर गाँव में राजा विजयचंद की गढ़ी थी. उसके निकट ही कालीदेव की... Read more
शमशेर सिंह बिष्ट उत्तराखण्ड राज्य निर्माण आन्दोलन के आन्दोलन की भी अग्रिम पंक्ति में थे. राज्य गठन के बाद वे नवगठित राज्य के स्वरूप से नाखुश थे. राज्य निर्माण के 10 साल पूरे होने पर उत्तराखण... Read more
हमें अदाएँ दीवाली की ज़ोर भाती हैं
आज से कोई तीन सौ बरस पहले आगरे में एक बड़े शायर हुए नज़ीर अकबराबादी. नज़ीर अकबराबादी साहब (1740-1830) उर्दू में नज़्म लिखने वाले पहले कवि माने जाते हैं. समाज की हर छोटी-बड़ी ख़ूबी नज़ीर साहब के यहा... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने – 26
1960 से पहले यहाँ यात्रियों, पर्यटकों के टिकने के लिए विशेष होटलों कि व्यवस्था नहीं थी. तेवाड़ी होटल, जगदीश होटल, अम्बिका होटल पंजाब होटल के अलावा ढाबों में लगी बैंचों और केएमओयू स्टेशन, अनाथ... Read more
उत्तराखंड में संभावनायें
हम उत्तराखंड राज्य की स्थापना की 18वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं. इस राज्य को बनाने का सबसे पहला संगठित विचार सन 1958 में श्रीनगर गढ़वाल में आया था जब वहां के तात्कालिक राजनीतिक, सामाजिक विचा... Read more
9 नवम्बर 2000 आख़िर वो दिन आ ही गया जिसका हर उत्तराखंडवासी को इंतज़ार था. एक लम्बे संघर्ष के बाद पृथक राज्य का निर्माण हुआ. सबकी ऑंखों में एक ही सपना तैरता था कि अपना अलग पहाड़ी राज्य होगा ज... Read more
(शमशेर सिंह बिष्ट: 4 फरवरी 1947 से 22 सितम्बर 2018) शमशेर सिंह बिष्ट उत्तराखण्ड के ख्यातिलब्ध आन्दोलनकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, पत्रकार और बुद्धिजीवी हैं. अभावग्रस्त बचपन को अपनी ताकत ब... Read more
धारचूला के सीमांत गांव छिपलाकोट की छिपला जात
सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ के धारचूला तहसील में काली एवं गोरी घाटी के मध्य उच्च हिमालय में स्थित छिपला कोट, अपने में विशेष धार्मिक महत्व रखता है. समुद्र तल से लगभग 4200 मीटर की ऊचाई एवं बरम कस्ब... Read more
आज से देहरादून का ऐतिहासिक झंडा मेला शुरू
आज से देहरादून में 350 वर्ष पुराने ऐतिहासिक झंडा मेला की शुरुआत हो चुकी है. होली के ठीक चार दिन बाद एक महीने तक चलने वाला झंडा मेला शुरू होता है. इस मेले में सुबह दरबार साहिब के बाहर स्थापित... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने – 22
सन् 60-70 के दशक में साम्यवादी विचारधारा के नाम पर बहुत से पाजी लोगों का जमघट मैंने यहां देखा. वे काम बिल्कुल नहीं करना चाहते थे और कहते थे कि पूंजीपतियों की सम्पत्ति बांट ली जानी चाहिए. वे... Read more