हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 64
आज उत्तराखण्ड की प्रमुख मण्डी के रूप में हल्द्वानी स्थापित है. पूर्व में यहां मण्डी का कारोबार मंगल पड़ाव, मीरा मार्ग (पियर्सनगंज), रेलवे बाजार, महावीर गंज में था. महावीरगंज को रहीम गंज कहा ज... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 63
साठ के दशक से पूर्व नगर में एक फकीर घूमा करता था, नाम था उसका किशना पागल. वह अपनी मर्जी से जहां चाहे चला जाता था और जब चाहे किसी के दरवाजे पर बैठ जाता उसके बारे में यह मशहूर था कि प्रातः काल... Read more
कुमाऊँ में साइमन कमीशन का बहिष्कार
भारत के भावी संवैधानिक स्वरूप पर रिपोर्ट हेतु 1927 में ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन की नियुक्ति की थी. इस आयोग में भारतीयों को न लिये जाने का कड़ा विरोध किया गया. 1921 में असहयोग आन्दोलन के स... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 62
लोहवन के ही रहने वाले दाऊदयाल गुप्ता उनके बेटे विष्णु और सतीश चाट का ठेला लगाते थे. दाऊदयाल पेठा बेचते थे. बाद में उन्होंने पान की दुकान खोल ली. एक बार उनके लड़कों ने मोटर साइकिल खरीद ली. दाऊ... Read more
दिनेश लाल – उत्तराखण्ड के लोकजीवन को तराशता कलाकार
शौक के लिए आपका जूनून आपकी कई तरह की समस्याओं का समाधान ला सकता है, कुछ ऐसी ही कहानी है दिनेश लाल की. 1980 में ग्राम सभा जेलम, पोस्ट खंडोगी, टिहरी गढ़वाल के मूर्ति मिस्त्री के घर में पैदा हुए... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 61
1860 के करीब पटवा बिरादी ने रामपुर से आकर हल्द्वानी में कारोबार शुरू किया था. तब पैंठ पड़ाव में सड़के किनारे बैठकर चूड़ी-चरेऊ, धमेली-फूना इत्यादि सामान ये लोग बेचा करते थे. मूल रूप से बेलियों क... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 60
करीब सवा सौ साल पूर्व अपने मूल स्थान जिला सीकर राजस्थान के ग्राम कांवट निकट नीम का थाना से रानीखेत पहुंचे रामनिवास जी के तीन पुत्र –सूरजमल, ब्रदीप्रसाद, जगदीश प्रसाद अग्रवाल हुए. इस पर... Read more
डोई का सालाना डोयाट – इस दफा स्पीति
घुमक्कड़ी धर्म को बढ़ाने के क्रम में आखिरकार आज अपने सालाना डोयाट (यात्रा) पर निकल पड़ा. पिछले साल हमख्याल दोस्त उमेश पुजारी के साथ हुई नेपाल भूटान की यात्रा के बाद इस साल यूं अकेले निकलूंगा... Read more
गढ़वाल मंडल के जौनपुर क्षेत्र की सिल्वाड़ पट्टी के बाड़ासारी गाँव में भदरीगाड़ के ऊपर तिरस की सुरम्य घाटी में स्थानीय तिलकादेवी का मंदिर स्थापित है. इसी के ऊपर नागटिब्बा नामक स्थान पर नागदेवता क... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 59
सन 1900 के करीब अलीगढ़ के गांव काजमाबाद से रामचन्द्र जी भी यहां आये और साझे में हलवाई की दुकान पर कार्य शुरू कर दी. बाद में उन्होंने नया बाजार में खुद की हलवाई की दुकान खोली और फिर रस्सी बाजा... Read more