पचास लाख पेड़ लगाने वाले मसीहा का जाना
कल यानी बीते शुक्रवार को उत्तराखंड के ‘वृक्ष मानव’ (Tree Man) के नाम से विख्यात श्री विश्वेश्वर दत्त सकलानी (Vishweshwar Dutt Saklani) का देहांत हो गया. उनके परिजनों की मानें तो उन्होंने अपन... Read more
“हाँ साहब! वह पैठी है मन के भीतर” – गोपाल राम टेलर से महान लोकगायक तक गोपीदास का सफ़र
1900-1902 के बीच कोसी नदी से सटे हुये गांव सकार में ‘दास’ घराने के एक हरिजन टेलर मास्टर के घर जन्मा था गोपाल राम. इस खानदान में गाथा गायन अतीत से चला आया था. यह लोग बौल गायन तथा जागरी गाथा क... Read more
दो हजार साल पहले पिथौरागढ़ के तीन ओर था एक सरोवर
वह सरोवर बचपन में अपने “मुलुक’ (Pithoragarh) के बारे में पूछता था तो दादी बताती थीं एक ऐसे मैदान के बाबत, जिसमें मीलों तक पत्थर दिखते ही न थे. पहली बार सोर घाटी देखी तो लगा कि दादी ने अतिशयो... Read more
मेरे जाने के बाद कोई नहीं गायेगा मालूशाही
उत्तराखंड के महान मालूशाही-गायक गोपीदास के साथ अपनी पहली मुलाक़ात को याद करते हुए जर्मनी के मानवशास्त्री और भारत के अध्येता कोनराड माइजनर ने लिखा है: गोपीदास से 1966 में हुई पहली मुलाकात को म... Read more
सौ साल पुराने कुमाऊँ की तस्वीरें
एक ज़रूरी किताब कुमाऊँ (Kumaon) के बारे में 1905 में छपी ई. शर्मन ओकले (E. Sherman Oakley) की किताब ‘होली हिमालयाज: द रिलीजन, ट्रेडिशन्स, एंड सीनरी ऑफ़ हिमालयन प्रोविन्स’ (Holy Him... Read more
कालीचौड़ में देवी का सिद्ध पीठ
कालीचौड़ गौलापार में स्थित काली माता का प्रख्यात मंदिर है. हल्द्वानी से 10 किमी और काठगोदाम से 4 किमी की दूरी पर स्थापित कालीचौड़ मंदिर के लिए काठगोदाम गौलापार मार्ग पर खेड़ा सुल्तानपुरी से एक... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 66
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 66 पिछली कड़ी का लिंक: हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने- 65 हल्द्वानी (Haldwani) दूसरे अतिक्रमणकारी वे हैं जो भूमिहीन हैं, भवनहीन है और सरकार से मांग... Read more
असंख्य मेले लगते हैं हर साल उत्तराखंड में उत्तराखंड सरकार का संस्कृति मंत्रालय अपनी संस्कृति को बचाने के नाम पर करोड़ों का वार्षिक खर्च करता है. पोस्टर और अखबारी विज्ञापनों का खर्च इतना होता... Read more
नैनीताल के अवस्थी मास्साब
वह 1984 की गर्मियों के दिन थे और दिलकश नैनीताल हमेशा की तरह सैलानियों की गहमा-गहमी में डूबा हुआ था. पहाड़ के बाकी हिस्से में उत्तराखण्ड संघर्ष वाहिनी के `नशा नहीं रोजगार दो´ आंदोलन की बयार ब... Read more
जियारानी (Jiarani) कत्यूरी वंश की रानी थी. खैरागढ़ के कत्यूरी सम्राट प्रीतमदेव उनके पति हुआ करते थे. हल्द्वानी शहर, उत्तराखंड (uttarakhand) से लगभग चार किमी की दूरी पर रानीबाग स्थित है. यहाँ... Read more