अल्मोड़ा के फालतू साहब और उनका पीपीपी प्लान
एक फलसफा कहीं सुना था कि जिंदगी में और दफ्तर में कुछ भी फालतू (Faltu Sahab of Almora) नहीं होता पर अल्मोड़े में कचहरी में एक चीज ऐसी थी जिसे उसके यार अहबाब फालतू साहब कहते थे. अमिताभ बच्चन क... Read more
देवगाथाओं में जिक्र मिलता है कि भ्वलनाथ या भोलानाथ एक राजकुमार था. भोलानाथ चंदवंशीय राजा उदय चन्द का पुत्र था. साधू प्रकृति का होने के कारण यह जोगी हो गया था. एक राजनीतिक षड्यंत्र के तहत भोल... Read more
अल्मोड़े के पान और पान वाले
आइए चलते हैं अल्मोड़ा में अल्मुड़िया पान खाने (Paan Shops of Almora). पहला पान एल.आर. शाह रोड पर एक छोटा सा रेस्टोरेंट है ग्लोरी. ग्लोरी के मालिक हैं मंजुल मित्तल और मंजुल दा के सामने है भैरव... Read more
मैदानी भागों में स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां होने वाली हैं वहां रहने वाले पहाड़ी भी अब महिना दो महिना अपने-अपने गांव जाने की तैयारी में होंगे. पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड के लोगों के... Read more
चट्टी: चारधाम यात्रा के पारंपरिक पड़ाव
आज उत्तराखण्ड की चार धाम यात्रा के सभी पड़ाव सड़क व वायु मार्ग से जुड़े हुए हैं. यात्रा मार्गों पर गढ़वाल मंडल विकास निगम समेत द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के अलावा भी सैकड़ों होटल, सारे, होम स्ट... Read more
उत्तराखंड में कोट की माई भ्रामरी आदि शक्ति नंदा का ही एक रूप है. कत्यूर घाटी क्षेत्र में मां शक्ति भ्रामरी विशेष रूप से पूजी जाती है. कोट की माई भ्रामरी की जागर में एक कथा बतायी जाती है कि क... Read more
भेली धरना या भेलिधरण कुमाऊँ के वैवाहिक अनुष्ठानों में सगाई की एक रस्म की तरह ही है. इसका शाब्दिक अर्थ है भेली (गुड़ की पिंडी रखना,) उत्तराखण्ड में गुड़ की एक विशेष तरह की पिंडी को गुड़ की भेली... Read more
पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में लकड़ी के बर्तनों का उपयोग लगभग बंद हो गया है. कभी दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाले लकड़ी के इन बर्तनों के नाम तक आज की पीढ़ी नहीं जानती होगी. लकड़ी के बने इन बर्... Read more
चम्पावत का किला, राजबुंगा, चम्पावत गढ़ी
चम्पावत का किला राजबुंगा, चम्पावत गढ़ी, राजबुड्डा अर्थात राजा की गढ़ी भी कहा जाता है. अंडाकार आकार के किले की प्राचीर की दीवार लगभग 3.50 मीटर मोटी और किले की भौगौलिक स्थिति के अनुसार 4 से लगभग... Read more
मासी का सोमनाथ मेला
सोमनाथ भगवान शंकर का पर्यायवाची नाम है. सोमनाथेश्वर नामक स्थान पर झाड़ियों के बीच एक गुफा के अन्दर शिवलिंग की प्राप्ति हुई थी. तब वहां पर कनोडिया राजपूतों ने एक शिवालय का निर्माण करवाया था.... Read more