ई. शर्मन ओकले ने अपनी किताब ‘होली हिमालयाज’ में लिखा है कि चंद राजाओं के समय राजा ने आत्मरक्षा के लिये जो नियम बनाये वह रूस के जार के नियमों से भी कठोर थे. दरसल ओकले जिन नियमों क... Read more
उत्तराखंड के लोक देवताओं में एक प्रचलित नाम ऐड़ी या ऐड़ा देवता का है. कुमाऊं में अनेक चोटियों के शिखर पर ऐड़ी देवता के मंदिर देखने को मिलते हैं. ऐड़ी देवता के रुप रंग व्यवहार आदि के संबंध में... Read more
हल्द्वानी के रहने वाले श्री त्रिलोक सिंह कुंवर की यह जीवनगाथा मानवीय संवेदनाओं और संघर्षों का ऐतिहासिक बयान है. एक साधारण इंसान की यह साधारण आत्मकथा उतने ही नाटकीय घटनाक्रमों से बुनी हुई है... Read more
एबट माउंट वाले अंग्रेज साहब का किस्सा
उत्तराखण्ड में कुमाऊँ के जिला चम्पावत के लोहाघाट नगर के नजदीक एबट माउंट नामक एक बहुत ही खूबसूरत स्थान है. करीब साढ़े छः हज़ार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस स्थान की पर्यटन संबंधी तमाम डीटेल्स आपको... Read more
राजा ज्ञानचंद को गरुड़ज्ञानचंद क्यों कहते हैं?
चन्द शासकों में सबसे ज्यादा समय तक गद्दी में बैठने वाले शासक का नाम है राजा ज्ञानचंद. कुछ लोगों ने सबसे ज्यादा समय तक शासन करने वाले चंद शासक का नाम गरुड़ज्ञानचंद भी पढ़ा होगा. दरसल इस सवाल के... Read more
आदियोग फाउंडेशन वाली मानसी जोशी से मिलिए
देश भर में हाल के वर्षों में आई महिला जागृति की लहर उत्तराखंड में भी देखी जा सकती है. अनेक महिलाओं ने यहाँ स्वरोजगार के नए नए रास्ते निकाले हैं और न केवल स्वयं को स्वावलंबी बनाया है अपने आसप... Read more
नौलिंग देवता और सनगड़िया मसाण की कहानी
भगवान मूल नारायण ने अपने दोनों पुत्रों बज्यैण और नौलिंग को अपने से समान दूरी पर भनार और सनगाड़ भेजा था. नौलिंग देवता जब सनगाड़ पहुंचे तो वहां की प्राकृतिक छटा से इतने प्रभावित हुए कि वहीं रहने... Read more
कुमाऊं में अन्नप्राशन संस्कार
अन्नप्राशन संस्कार बच्चे के दांत निकलने से पहले किया जाता है. कुमाऊं में इसे अनपासनि, पासणि भी कहा जाता है. शुभ मुहूर्त और लग्न के साथ यह संस्कार पुत्र को छठे या आठवें महीने और पुत्री को पां... Read more
आज गंगा दशहरा है
आज गंगा दशहरा है. पहाड़ों में इसे दसार या दसौर भी कहते हैं. इस वर्ष गंगा दशहरा 12 जून, 2019 को पड़ रहा है. कुमाऊं क्षेत्र के हिस्सों में इस दिन घरों के मुख्य दरवाजों के ऊपर और मंदिरों में गंगा... Read more
कुमाऊंनी लोकगीतों में सामाजिक चित्रण
लोकगीतों से हमारा तात्पर्य लोक साहित्य के उन रूपों से है, जो प्रायः अलिखित रहकर जन-साधारण द्वारा निर्मित होते हुए एवं परंपरा से देश काल की विविध परिस्थितियों का चित्रण करते हुए उनके बीच प्रच... Read more