‘अम टो मिस्टर हो गया अब यूरप जाना मांगटा है’ – उत्तराखंड के स्वाधीनता संग्राम का एक अनछुआ पहलू
1920 का दशक था. भारत में उन दिनों स्वतन्त्रता आन्दोलन बहुत तेजी से फ़ैल रहा था. राष्ट्रीय चेतना अपने पाँव पसार रही थी और विदेशी वस्तुओं के प्रति नकार का भाव उमड़ने लगा था. उस दौर में गढ़वाल-... Read more
भारत में 80 प्रतिशत प्लास्टिक को बिना रीसाइकल किये ही फेंक दिया जाता है. आज हमारे घरों में रसोई घर से लेकर पाखाने तक प्लास्टिक घुसा हुआ है. ऐसे में एक शहर जहां पर्यटन अधिक होता हो वहां प्लास... Read more
पहाड़ियों को बहुत प्रिय है घुघूती
पहाड़ों में जिन पक्षियों ने जनमानस को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है उनमें से एक है घुघूती. इससे जुड़े गीतों किस्से कहानियों किवदंतियों से शायद ही उत्तराखंड का कोई हिस्सा अछूता रहा हो. यह आकार... Read more
उत्तराखंड का बहुजन समाज मुख्यतः कृषक और पशुपालक रहा है. इनके लिए जमीन और पशुधन सबसे ज्यादा प्रिय और कीमती है. इसीलिए उत्तराखंड के पर्वतीय समाज में एक दिन पशुओं के उत्सव का भी तय किया गया है.... Read more
काफल ट्री के नियमित पाठक युवा फोटोग्राफर अमित साह के नाम से परिचित हैं. उनके काम की अनेक शानदार बानगियाँ आपको समय-समय पर दिखाते रहे हैं. अमित साह की तस्वीरों की एक ख़ास बात यह है कि उनकी हर त... Read more
पटौव्वा रंगवाली, पटवाली या पटरंगवाली शब्द का मतलब है अफवाह. इसकी उत्पत्ति 758-778 ई. में चंद शासक इन्द्रचंद के शासनकाल में हुई मानी जाती है. उस समय तिब्बत से प्राप्त रेशम के कीड़ों को पालने... Read more
कुमाऊं के पहाड़ों में ऐसे लोग हैं जिनके पंख होते हैं और जो उड़ भी सकते हैं : बदायूंनी
रुद्रचंद, चंद शासकों में सबसे शक्तिशाली शासक के रूप में जाना जाता है. रुद्रचंद के शासन काल में ही चंद शासकों ने डोटी के शासकों से सीराकोट जीता था. रुद्रचंद अल्मोड़ा की गद्दी पर 1565 ई. में बै... Read more
उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल का जब भी इतिहास लिखा गया है तब एक सामान्य धारणा यह बनाने की रही है कि गोरखाओं की तुलना में ब्रिटिश साम्राज्य का काल में यहां के स्थानीय लोगों का जीवन शांतिपूर्ण और अ... Read more
मसूरी का इतिहास
उत्तराखण्ड के गढ़वाल मण्डल के पहाड़ी कस्बे मसूरी को पहाड़ों की राजधानी भी कहा जाता है. मसूरी उत्तराखण्ड का सबसे ज्यादा लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, यहाँ हर साल सबसे ज्यादा सैलानी आया करते हैं. र... Read more
जलते जंगल का वसंत
आज सुबह आँख खुली तो मन कुछ उद्विग्न था. बेसिरपैर का, पता नहीं क्या सपना देखा था रात को, कि पिताजी के स्वास्थ्य की चिंता लग गयी. उम्र के 96 वर्ष देख चुके ‘पप्पा’ के स्वास्थ्य को लेकर, बावजूद... Read more