कुमाऊं के पहाड़ों में ऐसे लोग हैं जिनके पंख होते हैं और जो उड़ भी सकते हैं : बदायूंनी
रुद्रचंद, चंद शासकों में सबसे शक्तिशाली शासक के रूप में जाना जाता है. रुद्रचंद के शासन काल में ही चंद शासकों ने डोटी के शासकों से सीराकोट जीता था. रुद्रचंद अल्मोड़ा की गद्दी पर 1565 ई. में बै... Read more
उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल का जब भी इतिहास लिखा गया है तब एक सामान्य धारणा यह बनाने की रही है कि गोरखाओं की तुलना में ब्रिटिश साम्राज्य का काल में यहां के स्थानीय लोगों का जीवन शांतिपूर्ण और अ... Read more
मसूरी का इतिहास
उत्तराखण्ड के गढ़वाल मण्डल के पहाड़ी कस्बे मसूरी को पहाड़ों की राजधानी भी कहा जाता है. मसूरी उत्तराखण्ड का सबसे ज्यादा लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, यहाँ हर साल सबसे ज्यादा सैलानी आया करते हैं. र... Read more
जलते जंगल का वसंत
आज सुबह आँख खुली तो मन कुछ उद्विग्न था. बेसिरपैर का, पता नहीं क्या सपना देखा था रात को, कि पिताजी के स्वास्थ्य की चिंता लग गयी. उम्र के 96 वर्ष देख चुके ‘पप्पा’ के स्वास्थ्य को लेकर, बावजूद... Read more
महंत कहते हैं क्यूंकालेश्वर नहीं कंकालेश्वर है पौड़ी के इस विख्यात मंदिर का असली नाम
पौड़ी गढ़वाल में स्थित विख्यात कंकालेश्वर मंदिर को पर्यटन विभाग क्यूंकालेश्वर मंदिर के नाम से प्रचारित करता है अलबत्ता वहां रहने वाले महंत कहते हैं कि इसका वास्तविक नाम कंकालेश्वर है. वे मंद... Read more
डीडीहाट का सीराकोट मंदिर
पिथौरागढ़ जिले के मुख्यालय से लगभग पचास किमी की दूरी पर स्थित है डीडीहाट. डीडीहाट एक एतिहासिक नगर है जिस पर अध्ययन जरूरत है. अब तक मान्य तथ्यों के अनुसार एक समय डीडीहाट सीरा राज्य की राजधानी... Read more
चम्पावत के तत्कालीन राजा दीप चंद के दीवान थे हर्ष देव जोशी. एक किंगमेकर, कूटनीतिज्ञ, प्रशासक, सैन्य अधिकारी और अतीव चतुर हर्ष देव जोशी के बारे में एटकिंसन के गजेटियर में अनेक दिलचस्प बातें प... Read more
झोड़ा : प्रेम और श्रृंगार से भरा नृत्यगान
अल्मोड़ा-रानीखेत-सोमेश्वर-द्वाराहाट क्षेत्र में झोड़ा एक लोकप्रिय नृत्यगान शैली है. झोड़ा चांचरी का ही परवर्ती रूप लगता है. झोड़ा हिंदी के जोड़ या जोड़ा शब्द से मिलकर बना है. नेपाली में झोड़ा के लि... Read more
‘जय हिंद’ का नारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस या किसी अन्य ने नहीं बल्कि अल्मोड़ा (उत्तराखंड) के जैंती निवासी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम सिंह धौनी जी ने नेता जी से भी काफी पहले... Read more
पहाड़ में रोजगार को लेकर पलायन की कहानियां अक्सर सुनने को मिलती हैं. कभी पानी का न होना तो कभी बंदर, सुअर आदि जंगली जानवरों से खेती को नुकसान होना, बहुत सी समस्यायें सुनने व देखने को मिलती ह... Read more