हल्द्वानी में पहले हल्दू के पेड़ बहुतायत में हुआ करते थे इसलिए उसे हल्द्वानी कहा जाने लगा. वर्तमान हल्द्वानी के निकट मोटाहल्दू और हल्दूचौड़ गांव हैं. पूर्व में मोटाहल्दू के निकट वाले क्षेत्र क... Read more
ऐसे बना था नीमकरौली महाराज का कैंची धाम मंदिर
अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के सन्त बाबा नीम करौली अथवा नीब करौरी के चमत्कारों के संबंध में प्रचुर साहित्य उपलब्ध है न कि हिन्दी में, अपितु सात समन्दर पार उनके भक्तों ने दूसरी भाषाओं में बहुत कुछ... Read more
मेरे दादा के समय तक के किस्से मैंने बचपन में खूब सुने. जितने भी किस्से सुने उनमें एक किस्सा होता कि पहले लोग नमक लाने के लिए यहाँ से टनकपुर तक की पैदल यात्राएँ करते थे. मामूली जरूरतों तक सीम... Read more
कुमाऊनी में सभी दीर्घ स्वरों के हृस्व रूप भी मिलते हैं. कहीं-कहीं यह हृस्वात्म्कता अर्थ्भेदक भी है. जैसे – (Main Characteristics of Kumaoni Language) आ'म = दादी,नानी आम = फल विशेषखे'ल... Read more
शुरुआती जीवन नौटी गांव से दो किमी की दूरी पर बैनोली नाम का एक गांव है मेरा जन्म वहीं हुआ था. मेरी शिक्षा दीक्षा भी उसी गांव में हुई. मैंने आठ तक वहीँ पढ़ा. मेरे पिताजी (त्रिलोक सिंह र... Read more
मिलिये पहाड़ में सरकारी स्कूल के तीन बच्चों से जिनकी फर्राटेदार अंग्रेजी वाले वीडियो से पूरा देश प्रभावित है
सामान्यरूप से किसी भी कलाकार को उसके जीवन का पहला मंच उसका स्कूल होता है. पहाड़ के कलाकारों की तो स्कूल, होली और रामलीला जैसे स्थानों में मजबूत नींव पड़ती है. पिछले कुछ दिनों से सोशियल मीडिया... Read more
“सन्तोष जोशी विजयपुर कांडा, बागेश्वर में शिक्षक हैं. कुछ दिन पहले ही सोशल मीडिया के माध्यम से जान पहचान हुई. फिर 3 दिन पहले उन्होंने झिझकते हुए एक वीडियो भेजा कहा कि भाईसाहब मैँ भी बच्... Read more
भारती कैंजा और पेड़ के साथ उनकी शादी
भारती कैंजा अपने भाई-बहिनों में सबसे छोटी है, लेकिन जीवट में सबसे बड़ी. वह कभी किसी से फालतू नहीं बोलती. जब वह आठ साल की रही होगी, अपनी बुआ के घर ढकाली गई हुई थी. (Memoir by Govind Singh) वहा... Read more
बहुत कम लोग होते हैं जो जीवन भर अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं. खास तौर से तब,जब कोई फर्श से अर्श तक का सफर तय कर लेता है और नाम शोहरत दोनों कमा लेता है. ऐसा ही एक नाम है रेसलिंग की दुनिया में... Read more
पिथौरागढ़ में पहली बस 1951 में आई थी
पिथौरागढ़ में पहली गाड़ी के विषय में कई किस्से कहानियां लोकप्रिय हैं. अधिकांश लोगों का मानना है कि यहां आने वाली पहली बस के.एम.ओ.यू. की बस थी, कुछ लोगों का कहना है कि बस नहीं पहली बार पिथौरागढ़... Read more