भारत के अलावा और कहाँ मिलता है ‘काफल’
इन दिनों पहाड़ को जाने वाली सड़कों के किनारे काफल की टोकरी लिये पहाड़ी खूब दिख रहे हैं. लोक में माना जाता है कि काफल देवताओं द्वारा खाया जाने वाला फल है. देवताओं द्वारा खाए जाने वाले ख़ालिस... Read more
आज के समय नैनीताल किसी परिचय का मोहताज नहीं. पर एक समय ऐसा भी था जब लोग नैनीताल की स्थिति को लेकर असमंजस में थे. यह असमंजस अंग्रेजों को अधिक था. स्थानीय लोगों को नैनीताल के विषय में तो खूब ज... Read more
1 मई और रुद्रप्रयाग का बाघ
यह लेख वरिष्ठ पत्रकार व संस्कृतिकर्मी अरुण कुकसाल की किताब ‘चले साथ पहाड़’ का एक अंश है. किताब का ऑनलाइन पता यह रहा – ‘चले साथ पहाड़’ – सम्पादक(Gulabrai Mela Rudraprayag) गुलाबराय आने... Read more
खोज्यालि-खोज्यालि, मेरी तीलु बाखरी
पशुपालक समाजों में पशु के गुण-विशेष से आत्मीयता बरती जाती रही है. नेगी जी ने गढ़वाल की प्राथमिक अर्थव्यवस्था आधारित पशुपालन पर एकाधिक गीत गाए, जिनमें ‘ढ्येबरा हर्चि गेना’ से लेकर... Read more
गुप्तकाल में कुमाऊं
कुषाण शासन के विघटन के उपरान्त उत्तर भारत में जिन राजाओं ने अपने छोटे-छोटे स्वतंत्र राज्य स्थापित किए उनमे से एक का नाम घटोत्कच गुप्त था. गुप्त वंश का संस्थापक इन्हीं को माना जता है. कुछ इति... Read more
चाय की खेती की असीम संभावनायें हैं उत्तराखंड में
उत्तराखंड में चाय की खेती का प्रथम संदर्भ विशप हेबर ने सन् 1824 में अपनी कुमाऊँ यात्रा में दिया है. सरकारी वानस्पतिक उद्यान सहारनपुर के अधीक्षक डॉ. रामले उत्तराखंड में चाय की खेती हो सकने से... Read more
पलायन : किसी के लिए वरदान, किसी के लिए श्राप
पलायन पर्वतीय क्षेत्रों के लिए गंभीर समस्या के रूप में उभर रही है. उत्तराखंड में रोज़गार की कमी, राज्य में पलायन का सबसे बड़ा कारण आंका गया है. जिसके कारण बड़ी संख्या में युवा राज्य से बाहर... Read more
इस तरह द्वाराहाट में द्वारिका नगरी न बन सकी
इन दिनों स्याल्दे कौतिक के चलते द्वाराहाट खूब खबरों में हैं. स्याल्दे कौतिक इस इलाके का बड़ा कौतिक है जिसमें कई पट्टी के लोग आज भी आते हैं. स्याल्दे कौतिक के विषय में लम्बी पोस्ट यहाँ पढ़िये... Read more
क्या 1940 में शुरू हुआ थल मेला
कुमाऊं का थल मेला न जाने कितने पहाड़ियों की स्मृतियों का हिस्सा होगा. रामगंगा नदी के किनारे लगने वाले इस मेले को जीने वाली एक पूरी पीढ़ी है जो आज देश और दुनिया के अलग-अलग कोनों में बस चुकी ह... Read more
सूखे आटे का स्वाद
पिछली कड़ी – घुघुति-बासूती आज बारिश बहुत तेज है, सर्दियों में इतनी तेज बारिश पहाड़ों में कभी नहीं सुनी/देखी गई. लगातार तीन दिनों से इंद्रदेव शिवालिक पर्वत श्रेणी के इस क्षेत्र पर अपनी क... Read more