शौर्य चक्र से सम्मानित भारतीय सेना में सिविल इंजीनियर रहे पंचवटी कुटीर, नैनीताल निवासी शहीद मनोहर दत्त बवाड़ी को सिक्किम में बड़ा सम्मान मिला है. शहीद मनोहर दत्त बवाड़ी के नाम पर एक पुल का न... Read more
[पिछली क़िस्त: हल्द्वानी की सबसे पुरानी संगीत संस्था] नैनीताल में दुर्गालाल साह पुस्तकालय की अलग पहचान है. इस पुस्तकालय की स्थापना 1914 में अंग्रेजों ने की थी. उसी तरह हल्द्वानी मंं 15... Read more
गोठ में पहाड़ी रजस्वला महिलाओं के पांच दिन
कुछ सालों पहले उत्तराखण्ड के गाँवों में कोई नई दुल्हन जब ससुराल में प्रवेश करती थी – उसकी पहली माहवारी, जिसे लोक भाषा में धिंगाड़ होना, छूत होना, अलग होना, दिन होना या मासिक आदि नामों... Read more
दीपावली के ठीक ग्यारह दिन बाद गढ़वाल में एक और दीपावली मनाई जाती है जिसे इगास बग्वाल कहा जाता है. इस दिन पूर्व की दो बग्वालों की तरह पकवान बनाए जाते हैं, गोवंश को पींडा (पौस्टिक आहार) दिया ज... Read more
कल उत्तराखंड में मनाया जायेगा लोकपर्व इगास
इगास: बारा-बग्वाली का समापन-पर्व इगास (एगास भी), उत्तराखण्ड के गढ़वाल क्षेत्र में मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है. दीपावली यहाँ बग्वाल नाम से मनायी जाती है. बग्वाल से ठीक ग्यारह दिन बाद इगास... Read more
लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ़ जागरुक करने के लिये माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने देहरादून में एक मानव श्रंखला बनाई. लोग सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग न करें इसके लिये स्वयं सिंगल यूज प... Read more
भैरव मंदिर से आगे कि ओर जहाँ गुरुद्वारा है, उसके पीछे की गली जो कसेरा लाइन से दूसरी ओर मिलती है, पीपलटोला नाम से जानी जाती थी. यहाँ तवायफें रहा करती थीं और मुजरे के शौक़ीन लोग यहाँ जाया करते... Read more
नैनीताल में दुर्गालाल साह पुस्तकालय की अलग पहचान है. इस पुस्तकालय की स्थापना 1914 में अंग्रेजों ने की थी. उसी तरह हल्द्वानी में 15 अक्तूबर 1953 में एक पुस्तकालय की स्थापना की गयी. इस पुस्तका... Read more
इंटरनेट डेटा की ख़ुराक पर पलता मनमोहक फ़ासीवाद
इतिहासकार युवाल नोआ हरारी चेताते हैं कि फ़ासीवादियों को पहचानना आज इतना भी आसान नहीं है. वे हमेशा अपनी राक्षसी छवि के साथ सामने नहीं आते. हरारी बताते हैं कि 21वीं सदी के फ़ासीवादी वैसे नहीं... Read more
हल्द्वानी की सबसे पुरानी संगीत संस्था
[पिछली क़िस्त: जमरानी बाँध का अजब किस्सा ] बची गौड़ धर्मशाला से लगी मटरगली नाम से धीरे-धीरे एक बाजार विकसित हो गयी. पहले यहाँ बीच बाजार से होकर जाने वाली नहर थी. उस बंद नहर के ऊपर कुछ लोग बै... Read more