भैरव मंदिर से आगे कि ओर जहाँ गुरुद्वारा है, उसके पीछे की गली जो कसेरा लाइन से दूसरी ओर मिलती है, पीपलटोला नाम से जानी जाती थी. यहाँ तवायफें रहा करती थीं और मुजरे के शौक़ीन लोग यहाँ जाया करते... Read more
नैनीताल में दुर्गालाल साह पुस्तकालय की अलग पहचान है. इस पुस्तकालय की स्थापना 1914 में अंग्रेजों ने की थी. उसी तरह हल्द्वानी में 15 अक्तूबर 1953 में एक पुस्तकालय की स्थापना की गयी. इस पुस्तका... Read more
इंटरनेट डेटा की ख़ुराक पर पलता मनमोहक फ़ासीवाद
इतिहासकार युवाल नोआ हरारी चेताते हैं कि फ़ासीवादियों को पहचानना आज इतना भी आसान नहीं है. वे हमेशा अपनी राक्षसी छवि के साथ सामने नहीं आते. हरारी बताते हैं कि 21वीं सदी के फ़ासीवादी वैसे नहीं... Read more
हल्द्वानी की सबसे पुरानी संगीत संस्था
[पिछली क़िस्त: जमरानी बाँध का अजब किस्सा ] बची गौड़ धर्मशाला से लगी मटरगली नाम से धीरे-धीरे एक बाजार विकसित हो गयी. पहले यहाँ बीच बाजार से होकर जाने वाली नहर थी. उस बंद नहर के ऊपर कुछ लोग बै... Read more
कुछ दस बजे का समय रहा होगा, कुछ चल्लों की फोटो खींचते-खींचते मै एक प्राथमिक स्कूल के पास से गुजर रहा था. अध्यापिका और बच्चे नवम्बर की धूप सेकते हुए उस दिन की पढाई कर रहे थे. कुछ बच्चे आपस क... Read more
उत्तराखण्ड में चाय की खेती का इतिहास 150 वर्ष पुराना है. उत्तराखण्ड में भी चाय की खेती यूरोपियनों के आने के बाद ही शुरू हुई. सन् 1824 में ब्रिटिश लेखक बिशप हेबर ने कुमाऊं क्षेत्र में चाय की... Read more
नॅशनल ज्योग्राफिक द्वारा अपनी बहादुरी के लिए सम्मानित भारतीय नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ने साल 2018 में एक ऐसा कारनामा अंजाम दिया था जिसने देश भर में उनका बड़ा नाम किया. नाव से... Read more
अंग्रेजों के जमाने में उत्तराखंड के पुल
उत्तराखंड में अनेक नदियां बहती हैं और इन नदियों को पार करने के लिये यहां अनेक पुल हैं. पहाड़ी इलाकों में आज भी रस्सी के पुराने झूला पुल देखने को मिल जाते हैं. उत्तराखंड में पुल ग्रामीण जीवन... Read more
100 साल पुराना है धनाई मिष्ठान भण्डार का इतिहास
अल्मोड़ा में खीम सिंह-मोहन सिंह की बालमिठाई, तो श्रीनगर में धनाईजी के पेड़ों का जबा़ब नहीं है. दशकों पहले हनुमान मंदिर में बूंदी का प्रसाद चढ़ाने वाले भक्तों की भीड़ यहां हर शाम दिखती थी. एक... Read more
जमरानी बाँध का अजब किस्सा
[पिछली क़िस्त: हल्द्वानी में नहरों का जाल बिछाया था हैनरी रामजे ने] कहा गया था कि जमरानी बाँध बनाने से तराई-भाबर ही नहीं पीलीभीत, रामपुर और बरेली तक के खेतों में हरियाली आएगी. वर्षा के अनिय... Read more