एक थे चरणजीत शर्मा. मूल रूप से वे हरियाणा के रहने वाले थे लेकिन एक अर्से से वे यहीं के होकर रहे गये थे. यहां आने से पूर्व वे रानीखेत में लीसे का व्यापार किया करते थे. इस व्यापार में लीसे की... Read more
वह विकास यात्रा जिसके बाद ‘एन. डी. तेरे चारों ओर लीसा, लकड़ी, बजरी चोर’ नारा प्रचलित हुआ
सन् 60-70 के दशक में साम्यवादी विचारधारा के नाम पर बहुत से पाजी लोगों का जमघट मैंने यहां देखा. वे काम बिल्कुल नहीं करना चाहते थे और कहते थे कि पूंजीपतियों की सम्पत्ति बांट ली जानी चाहिए. वे... Read more
अल्मोड़ा में स्कूली दिनों की यादें
उम्र साढ़े तीन साल, कद करीब 3 या 4 फुट. पता नहीं कैसी दिखती थी मैं. बस यह जरूर याद है कि शिशु मंदिर की कक्षा में ‘शिशु’ कक्षा सर्वप्रथम कक्षा थी. ग्राउंड फ्लोर में होती थी वह क्ल... Read more
मदमहेश्वर मेले का रंगारंग आगाज़
पंच केदारों में द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की डोली के ऊखीमठ आगमन पर लगने वाले तीन दिवसीय मद्महेश्वर मेले का शनिवार को आगाज हो गया है. इस मौके पर शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर को 6... Read more
पिनालू: गुणकारी पहाड़ी सब्जी
अरबी की सब्जी का अरब से क्या ताल्लुक है यह तो नहीं पता लेकिन अरबी को उत्तराखण्ड में पिनालू और ककोड़ा कहा जाता है. देश के विभिन्न हिस्सों में इसे घुइयां, अरुई, कोचई, आदि नामों से भी जाना जाता... Read more
हाल बेहाल है गोविन्द बल्लभ पन्त की जन्मस्थली का
अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से करीब 27 किमी की दूरी पर एक गांव है खूंट. भारत के इतिहास में इस गांव का परिचय पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त के जन्मस्थान के रूप में दर्ज है. Govind Ballabh Pant Village इस... Read more
1972 के विधानसभा चुनाव में पिथौरागढ़ की जनता ने निर्दलीय उम्मीदवार डी. के. पाण्डे को भारी मतों से विजयी बनाया
यदि आज किसी विधायक को आबकारी मंत्री बना दिया जाए तो उसका बेडा पार. मंत्री हो जाने की बात तो दूर की, यदि किसी दमदार विधायक को शराब का ठेकेदार विरोध में खड़े होने वालों को खरीदने की जिम्मेदारी... Read more
मडुए की रोटी और हरिया साग गुमनाम क्यों
मक्के की रोटी और सरसों का साग, एक ऐसी भारतीय डिश है जिसे आप किसी भी स्तरीय रेस्टोरेंट के मैन्यू में देख सकते हैं. भारत समेत विदेशों में भी भारतीय डिश में आपको मक्के की रोटी ओर सरसों का साग म... Read more
जब से आधुनिक जीवनशैली और खानपान ने इंसान का हर तरीके से बेड़ा गर्क करना शुरू किया तभी से प्राकृतिक जीवन पद्धति की तरफ ध्यान दिया जाने लगा. विभिन्न अध्ययनों से यही तथ्य सामने आया कि हमारा पार... Read more
जब राष्ट्रीय स्तर के नेता भी हल्द्वानी में बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के भाषण देते थे
आजादी की लड़ाई में बहुत बड़ा योगदान देने वालों और बाद में क्षेत्र का नेतृत्व करने वालों के सम्बंध में कुछ खरी-खरी कहना उनके सम्मान में कमी लाना नहीं है. बल्कि यह बताना है कि राजनीति में यह स... Read more