हल्द्वानी के ‘न्यू लक्ष्मी सिनेमा’ में पहली फिल्म दिखाई गई थी कश्मीर की कली
नगर से महानगर हो चुके हल्द्वानी ने अपने आसपास के गांवों को भी अपने में सम्मिलित कर लिया है. मुखानी क्षेत्र में पर्वतीय रामलीला कुछ दिनों तक आकर्षण का केंद्र हुआ करती थी जो अब बंद हो चुकी है.... Read more
पिथौरागढ़ जिले में बरम गाँव से 16 किमी की पैदल दूरी पर स्थित है कनार गांव. कनार गांव को छिपलाकेदार का प्रवेश द्वार कहा जाता है. समुद्र तल से छः हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद यह गांव आज भी मूलभूत... Read more
धुआंधार कुमाऊनी बोलने वाले पहाड़ी सरदार
सरदार जगत सिंह के बड़े भाई दिलबर सिंह उनसे 10 साल बड़े थे. पिताजी के व्यवसाय में हाथ बताने के अलावा वह शेरो-शायरी व गीत-गजल के शौकीन भी थे. इनकी खूबियों से हल्द्वानी ही नहीं दूर-दूर के लोग प... Read more
खुद ही ब्रांड है नैनीताल की नमकीन
न कोई ब्रांडिंग, न विज्ञापन, न चमक-दमक वाला आउटलेट. इसके बावजूद नैनीताल की नमकीन इस कदर मशहूर हो गयी, कि लोग इसके दीवाने हैं. जिसने नैनीताल की नमकीन का स्वाद चखा, वह आज भले ही महानगरों में... Read more
हाल ही में केंद्र सरकार ने देश में 118 नए सामुदायिक रेडियो केंद्र खोलने को मंज़ूरी प्रदान कर दी है. इसमें 16 नक्सल प्रभावित इलाके समेत तीन पूर्वोत्तर राज्य और दो रेडियो स्टेशन जम्मू कश्मीर क... Read more
हमें त्वरित न्यायप्रणाली नहीं आरोपियों को मौके पर ही खत्म करने वाले हीरो चाहिए
हम फिल्मों की तरह सोचते हैं 1970 के दशक में भारतीय सिनेमा के पर्दे पर अमिताभ बच्चन का उदय होता है. आज़ादी मिलने के कई सालों बाद भी जब देश में बेरोजगारी, गरीबी के मुद्दे नहीं सुलझे तो नकाम सा... Read more
हल्द्वानी का पहला फोटो स्टूडियो
कुमाऊं अंचल में कई प्रख्यात कलाकारों, रंगकर्मियों, साहित्यकारों ने जन्म लिया. उनमें से कुछ को जाना गया, कुछ उपेक्षित रहे और कुछ गुमनामी का जीवन जीकर चले गए. प्रख्यात नृतक हरीश चन्द्र भगत भी... Read more
इन दिनों कॉर्बेट पार्क में ली गयी एक तस्वीर देश भर में चर्चित है. तस्वीर में एक बाघिन कॉर्बेट पार्क में रामगंगा नदी के किनारे-किनारे ग्रासलैंड के एक छोर से दूसरे छोर की तरफ जा रही है. अपने र... Read more
हल्द्वानी की सबसे पुरानी संगीत संस्था ‘संगीत कला केंद्र’ की स्थापना हुई 1957 में
कुमाऊँ का प्रवेश द्वार हल्द्वानी व्यावसायिक नगर के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में भी अग्रणी रहा है. शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में विद्वानों की महफिलें आज भी यहाँ जुटती हैं. यद्यपि व्यावस... Read more
‘दूबे जस जड़ है जाये’ उत्तराखण्ड की लोक परम्परा में दिया जाने वाला आशीर्वाद
दूब की कोमल घास को भगवान गणेश की पूजा में भी अर्पित किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि दूब की घास के जड़ पर ब्रह्मा, मध्य पर विष्णु और अगले हिस्से पर शिव का वास होता है. Doob Ghass in Uttarak... Read more