हल्द्वानी में जिस तेजी से हर समाज ने पनाह ली है उसी तेजी से उनके आहार व्यवहार रीति-रिवाज का प्रभाव भी यहां फैलता गया. बात करें सिंधी समाज की तो पता चलता है की खानपान की नई परंपरा से इस समाज... Read more
पहले हल्द्वानी के खेतों, बगीचों में जंगली जानवर घूमा करते थे, अब अलग-अलग नस्ल के कुत्ते भौंका करते हैं
आज स्थिति बिल्कुल अलग हो गई है पूरा हल्द्वानी और उसके आसपास के मीलों तक फैले गांव फतेहपुर, लामाचौड़, लालकुआं और रामपुर रोड के गांव सब कंक्रीट के जंगल में परिवर्तित हो गए हैं. एक गली, दूसरी,... Read more
बरेली के मिशनरी प्रचारक विलियम बटलर ने पहाड़ में मिशनरी का खूब प्रचार किया था. फतेहपुर के पास ईसाई नगर में पुराने चर्च में विलियम बटलर का नाम आज भी अंकित है ईसाई नगर हेनरी रैमजे के समय में ब... Read more
पहाड़ में काम करने न करने पर लोक विश्वास
पहाड़ में कुछ काम करने न करने पर कुछ लोक विश्वास भी बने रहे जैसे यात्रा करने में वारदोख का विचार. व्यक्ति की पूरब दिशा की ओर सोम बार और छनचर को पश्चिम की तरफ, इतवार और शुक्र को उत्तर की ओर,... Read more
झड़पातली : पहाड़ियों का टाइमपास
वैसे तो पहाड़ के लोगों के पास इतना टाइम ही नहीं होता की उसे पास किये जाने के लिए कुछ किया जा सके. सुबह चार बजे से लेकर रात तक हाड़-तोड़ मेहनत करने वाले पहाड़ियों की डिक्शनरी में शायद ही टाइमपास... Read more
झोली का नाम झोली ही कैसे पड़ा इस बारे में विद्वानों के अपनी अपनी बुद्धि और तजुर्बे के हिसाब से कई मत हो सकते हैं, जैसे मेरी अल्पबुद्धि कहती है कि ये मैदानी भागों में बनाए जाने वाले आलू के झो... Read more
पीली कोठी, जज फ़ार्म और हल्द्वानी के बाकी मोहल्लों के नाम रखे जाने की कहानी
हल्द्वानी में पीली कोठी एक बड़ा क्षेत्र है लेकिन इसकी शुरुआत एक कोठी से हुई थी. इलाहाबाद से होम्योपैथिक डॉक्टर जयदत्त गुरु रानी 1928 में हल्द्वानी आकर रहने लगे थे. शुरू में मुखानी चौराहे पर... Read more
पिज्जा, बर्गर और फास्ट फूड के इस दौर में यदि उत्तराखण्ड के परम्परागत व्यंजनों की बात करें तो आधुनिक पीढ़ी को ताज्जुब नहीं होना चाहिये कि उस दौर में रिश्तेदारी में जाने के लिए भी ये ही पकवान... Read more
“चाँद के उस पार चलो” फिल्म टेलीविजन पर चल रही है. फिल्म के अन्तिम दृश्य नैनीताल के मैदान में फिल्माया गया है. दृश्य लगभग रोमांटिक कहा जा सकता है.अन्त सुखान्त है. नायक और नायिका क... Read more
यहां भाबर के लिए एक शब्द अक्सर प्रयोग में लाया जाता है भबरी जाना, यानि खो जाना. यह बात पहले भी कही जा चुकी है कि इस खो जाने की प्रक्रिया को भबरिया कहा जाने लगा. ऐसा शब्द किसी भी शब्दकोश में... Read more